लखनऊ, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को कहा कि कृषि, चिकित्सा और कौशल विकास समेत तमाम क्षेत्रों में विश्वविद्यालय शोध केन्द्र की भूमिका निभा कर प्रदेश के विकास में सहयोग कर सकते हैं।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ योगी ने यहां हायर एजुकेशन कॉन्क्लेव को संबोधित करते हुये कहा “ विश्वविद्यालयों में अच्छा इंफ्रास्ट्रक्चर, फैकल्टी,डिजिटल लाइब्रेरी और अच्छा माहौल हो मगर इस बात का ध्यान रखा जाये कि भारतीय मूल्यों व आदर्शों से भटकाव की नौबत न आए। ऐसे कोई कार्य न हो कि कैंपस में राष्ट्रीयता से विपरीत नई धारा को जन्म मिले। ”
उन्होने कहा “ राष्ट्रीय शिक्षा नीति अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्लायों के कैंपस स्थापित करने की स्वतंत्रता दे रही है पर इसके लिए हमें नया माहौल देना होगा। डाक्यूमेंटेशन की प्रक्रिया की बाधा को हटाना पड़ेगा। इस दिशा में नए सिरे से काम करना होगा। इनोवेशन के लिए युवाओं को प्रेरित करना होगा। ”
उन्होने कहा कि ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट में केवल शिक्षा के ही एक लाख 57 हजार करोड़ के निवेश प्रस्ताव मिल चुके हैं। नए विश्वविद्यालय व शिक्षा के केंद्र मॉडल के रूप में स्थापित होंगे। उप्र को एक ट्रिलियन डालर की अर्थव्यवस्था बनाने के लिये शिक्षा के क्षेत्र में असीम संभावनाओं को बढ़ाने में योगदान दिया जा सकता है। उसे नई उड़ान देने के लिए यूपी में केंद्रीय, राज्य व निजी विश्वविद्यालय ने अच्छे प्रयास प्रारंभ किए हैं। रिसर्च के कुछ मॉडल दिए हैं। नए मानक गढ़े हैं। उस दिशा में विस्तृत मनन हो सके, ज्ञान का आदान-प्रदान कर सके, स्रोत व नवाचार को सूबे के हर कोने तक विस्तार देकर यूपी को फिर से शिक्षा के बेहतरीन केंद्र के रूप में विकसित कर सकें।
मुख्यमंत्री ने कहा “ यूपी देश में रेवेन्यू सरप्लस स्टेट है। अपनी आय को दोगुना कर चुका है। हम अपने दम पर आगे बढ़ सकते हैं। इसके लिए हमने यूपी की संभावनाओं को टटोला। हमने तीन सेक्टर को चिह्नित किया। यूपी के पास सबसे बड़ी उर्वरा भूमि है, सबसे अच्छा जल संसाधन है। पहले किसी को शासन की योजनाओं की जानकारी नहीं थी। छह वर्ष में प्रयास प्रारंभ हुए। ”
उन्होने कहा कि देश की 16 फीसदी आबादी यूपी में है, लेकिन कृषि योग्य भूमि हमारे पास केवल 11 फीसदी है। इस भूमि में यूपी आज देश के लिए अकेले 20 फीसदी फूड खाद्यान्न उत्पादन कर रहा है। हमारे पास हर जिले में आज कृषि विज्ञान केंद्र है। राज्य सरकार के चार कृषि विश्वविद्यालय संचालित हैं। इन्हें सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के रूप में विकसित करने के साथ ही नए रिसर्च प्रारंभ हुए। इन पर कार्य करेंगे तो यूपी में कृषि योग्य भूमि पर तीन गुना खाद्यान्न उत्पन्न करने का सामर्थ्य रखते हैं। इसके लिए कृषि के नए स्टार्ट अप स्थापित करने की दिशा में करना होगा और विश्वविद्लयों को केंद्र बिंदु बनाना होगा।
उन्होने कहा “ दुनिया में भारत सबसे युवा राष्ट्र है तो भारत में यूपी सबसे युवा राज्य है। सबसे अधिक युवा हमारे पास हैं। उनमें अनंत संभावनाएं हैं, उसे आगे बढ़ाना है। इंस्टीट्यूशन इंडस्ट्री के साथ शुरू से ही एमओयू क्यों नहीं होता है। इसके लिए प्रयास करना होगा। विश्वविद्यालय लोकल स्थितियों पर क्यों काम नहीं कर सकते। बहुत बार देखता हूं कि बड़ा प्रोजेक्ट करना होता है तो सोशल इम्पैक्ट स्टडी करानी पड़ती है, यह काम हमारा एक भी विश्वविद्यालय क्यों नहीं कर पाता है। हमारी शिक्षा में कोई न कोई खामी जरूर होगी। हम चाहते हैं कि हमारे केंद्रीय, राज्य व निजी विश्वविद्यालय इस पर काम करें। हमारा पास स्टडी होनी चाहिए। उनके सामाजिक, भौगोलिक स्थिति का अध्ययन आपके पास होना चाहिए।”
श्री योगी ने कहा “ वर्ष 2017 से पहले पूर्वी उत्तर प्रदेश में इंसेफेलाइटिस से प्रतिवर्ष हजारों मौत होती थी। किसी विश्वविद्यालय, मेडिकल कॉलेज या डॉक्टर ने उस पर रिसर्च पेपर नहीं लिखा। मैं सरकार का ध्यान आकर्षित करता था, लोगों को संसाधन उपलब्ध कराता था। 2017 में जब मुख्यमंत्री का दायित्व मिला तो मैंने कहा कि अब मुझे इसका समाधान निकालना होगा। उपचार से महत्वपूर्ण जागरूकता है। तब तक स्टडी नहीं थी। 40 वर्ष में 50 हजार मौत के बावजूद उस बीमारी पर कोई रिसर्च नहीं था। वहां के 10 हजार चिकित्सक निजी प्रैक्टिस करते हैं, वहां कई विश्वविद्यालय हैं, उनके पास कोई अध्ययन नहीं था, हमने सबसे पहले कुशीनगर में अभियान चलाया। शुद्ध पेयजल की आपूर्ति कराई, शौचालय बनवाए, चिकित्सालयों की व्यवस्था को सुदृढ़ किया, सर्विलांस को बेहतर किया। परिणाम है कि जिस बीमारी से प्रतिवर्ष 1200 से 1500 मौत होती थी, आज हमने उस पर 95 से 97 फीसदी अंकुश लगाया। पहले स्टडी हुई होती तो कई बच्चों की जानें बच सकती थीं।”