लखनऊ/नई दिल्ली, जातीय जनगणना की मांग दोहराते हुये बहुजन समाज पार्टी (बसपा) अध्यक्ष मायावती ने बुधवार को कहा कि कांग्रेस,भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और समाजवादी पार्टी(सपा) जातिवाद की पोषक हैं और बहुजन समाज को इनसे सावधान रहने की जरुरत है।
बसपा संस्थापक कांशीराम की पुण्यतिथि के अवसर पर उन्हे श्रद्धासुमन अर्पित करने के बाद सुश्री मायावती ने कहा कि गांधीवादी-कांग्रेस व आरएसएसवादी-भाजपा व सपा संकीर्ण जातिवादी व शोषणकारी पार्टियाँ हैं और वे उनकी वास्तविक हितैषी नहीं हैं बल्कि उनके उत्थान एवं ’आत्म-सम्मान व स्वाभिमान मूवमेन्ट’ की राह में रुकावटें ही हैं, जबकि अम्बेडकरवादी कारवाँ के लिए देश में बहुजन समाज पार्टी ही उनकी असली, सच्ची व स्थाई हितकारी मंज़िल है।
उन्होने कहा कि अगर ऐसा नहीं होता तो बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर के कड़े संघर्ष के बाद उनके द्वारा बनाए गए बहुजन-हितैषी व कल्याणकारी संविधान की बदौलत देश के बहुजनों का जीवन मुल्क की आज़ादी के बाद के लगभग 75 वर्षों में अब तक बहुत कुछ बदलकर बेहतर हो गया होता। लेकिन ऐसा नहीं होकर करोड़ों लोगों के लिए वही लाचारी, मजबूरी, गरीबी का संकीर्ण जातिवादी अन्याय-अत्याचार व शोषण का तंग जीवन जीने को मजबूर होने से यह साबित है कि देश की सत्ता पर ज्यादातर समय काबिज़ रहने वाली कांग्रेस व भाजपा आदि पार्टियों की सरकारें ना तो सही से संविधानवादी रही हैं और ना ही उस नाते सच्ची देशभक्त ही।
बसपा सुप्रीमो ने कहा कि वैसे तो जातिवाद का परित्याग ही सबसे बड़ी देशभक्ति है फिर भी इसी आधार पर छुआछूत और भेद्भाव करते हुए आरक्षण की संवैधानिक व्यवस्था का उचित लाभ इसके हकदार उपेक्षित वर्ग के करोड़ों लोगों को देने के बजाय इसको निष्क्रिय व निष्प्रभावी बनाने में ही कांग्रेस, भाजपा व सपा जैसी जातिवादी पार्टियाँ ज्यादातर लगी हुई हैं। इन्हीं षडयंत्रों का परिणाम है कि बहुजनों को बाँटने के लिए एससी व एसटी वर्ग के आरक्षण में वर्गीकर करने का प्रयास जारी है। अगर ऐसा नहीं होता तो इन वर्गों के आरक्षण को अबतक संविधान की 9वीं अनुसूची में शामिल करके इसको अदालती हस्तक्षेप आदि से सुरक्षित जरूर बना दिश गया होता।
उन्होने कहा कि अब जबकि सुप्रीम कोर्ट द्वारा जब एससी व एसटी समाज के आरक्षण को वर्गीकरण करने का मामला है तो न तो भाजपा/एनडीए सरकार और न ही कांग्रेस व इनका इण्डिया एलायन्स तत्सम्बंधी संविधान संशोधन बिल लाने को तैयार है, क्योंकि इनकी नीयत में इस हद तक खोट है कि वे लोग आरक्षण के प्रावधान को खत्म करने की ही नीयत रखते हैं, जो इनके बयानों से भी स्पष्ट है।
मायावती ने कहा कि बहुजनों को आत्म-सम्मान व स्वाभिमान के साथ ज़िन्दगी जीने का जो बहुमूल्य संवैधानिक अधिकार मिले हैं वे केवल कागजी शोभा नहीं रहें बल्कि उनका जमीनी लाभ प्राप्त करने के लिए बहुजनों का केन्द्र व राज्य की सत्ता की मास्टर चाबी हासिल करना जरूरी है, जो कि बाबा साहेब डा. अम्बेडकर का आजीवन कड़ा संघर्ष रहा।
उन्होने कहा कि बसपा की यूपी में अब तक चार बार रही सरकार जिसमें सर्वसमाज के गरीबों के साथ ही उपेक्षित/तिरस्कृत बहुजनों में से दलितों, आदिवासियों, अन्य पिछड़ों व धार्मिक अल्पसंख्यकों में से खासकर मुस्लिम समाज के हित एवं कल्याण तथा इनके आर्थिक पिछड़ेपन को दूर करने के लिए अनेकों अभूतपूर्व एवं ऐतिहासिक फैसले लेकर उन्हें जमीनी हकीकत में उतार करके भी दिखाया गया, जिसकी वजह पर ही कांग्रेस, भाजपा व सपा आदि जातिवादी पार्टियाँ यहाँ अपने अस्तित्व को खतरा मानकर बसपा की घोर विरोधी बनी हुई हैं। चुनाव के समय में बसपा को नुकसान पहुँचाने के लिए ना केवल स्वार्थी तत्वों के जरिए छोटी-छोटी पार्टी व संगठन आदि बनाकर तथा उन्हें चुनाव भी लड़वाकर वोटों को बाँटने का घोर बहुजन-विरोधी कार्य किया जाता है बल्कि उनमें से एक आदि को जिताकर भी अम्बेडकरवादी बहुजन मूवमेन्ट को कमजोर करने का प्रयास किया जाता है, जिससे बहुत ज्यादा सजग व सावधान रहने की जरूरत है वरना जातिवादी पार्टियों का बहुजन-विरोधी ’’वोट हमारा राज तुम्हारा’’ का कुचक्र लगातार चलता ही रहेगा।
मायावती ने कहा कि बहुजन समाज को एकजुटता व राजनीतिक शक्ति के बल पर शासक वर्ग बनने का संघर्ष लगातार जारी रखना है और ये सफलता तभी संभव होगा जब बहुजन समाज में से भी खासकर दलित, आदिवासी व अन्य पिछड़े वर्ग के लोग एक पार्टी व एक नेता के अन्तर्गत एकजुट बन जाएंगे।
उन्होने एक बार फिर एससी व एसटी समाज के आरक्षण में वर्गीकरण व क्रीमीलेयर के विरुद्ध जरूरी संविधान संशोधन बिल संसद के अगले सत्र में लाने की माँग करते हुये कहा कि कांग्रेस व इण्डिया गठबंधन इस कार्य में सरकार का सहयोग करें ताकि इस मुद्दे पर माननीय कोर्ट में उनके द्वारा की गई गलत पैरवी की भरपाई समय रहते हो सके तथा उन पार्टियों का दलित-विरोधी इतिहास में एक और काला अध्याय जुड़ने से बच जाए।