लखनऊ, उत्तर प्रदेश राज्य विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के महागठबन्धन में राष्ट्रीय लोकदल के शामिल होने को लेकर भ्रम की स्थिति बनी हुई है।
नाम न छापने की शर्त पर रालोद के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा,“ सम्मानजनक सीटें नहीं दिये जाने पर गठबन्धन में कैसे शामिल हुआ जा सकता है।”
दूसरी ओर, सपा अध्यक्ष बनने के बाद अब अखिलेश यादव के पास 2017 में दोबारा सत्ता में वापसी करने की चुनौती है,इसलिये वह कम से कम 300 सीटों पर चुनाव लडना ही चाहती है। तीन सौ से अधिक सीटों पर उम्मीदवार उतारने की मंशा की वजह से ही वह अपने खाते की सीटों को किसी हालत में दूसरे दलों को नहीं देना चाहती। वहीं, करीब तीन दशकों से सत्ता से बाहर कांग्रेस इस राज्य में अपनी राजनीतिक जमीन तलाश रही है।
कुछ महीने पहले तक विकास की राजनीति की बात कर दोबारा सत्ता में वापसी का दावा करने वाले अखिलेश यादव को भी अब गठबंधन वक्ती जरूरत लगने लगा है। यही वजह है कि दोनों ही दल अब गठबंधन को तैयार हैं लेकिन दोना ही इसे साम्प्रदायिक ताकतों को सत्ता से दूर रखने के लिए समय की जरूरत बता रहे हैं।
इसके लिए उसे जहां विधानसभा चुनावों में ज्यादा से ज्यादा सीट जीतनी होगी वहीं वोट प्रतिशत भी बढ़ाने होंगे। अकेले दम पर कांग्रेस के लिए ऐसा करना मुमकिन नहीं है। उसे किसी के साथ गठबंधन का सहारा लेना ही वक्त की जरुरत थी।