भीमावरम, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को कहा कि उनकी सरकार आदिवासी समुदाय के कल्याण के लिए अनवरत प्रयासरत है।
उन्होंने आंध्र प्रदेश में स्वतंत्रता सेनानी अल्लूरी सीताराम राजू की 125वीं जयंती समारोह के शुभारंभ के अवसर पर एक सभा को संबोधित करते हुए कहा, “ हमारा नया भारत इनके (स्वतंत्रता सेनानियों के) सपनों का भारत होना चाहिए। एक ऐसा भारत- जिसमें गरीब, किसान, मजदूर, पिछड़ा, आदिवासी सबके लिए समान अवसर हों। ”
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “स्किल इंडिया मिशन के जरिए आज आदिवासी कला-कौशल को नयी पहचान मिल रही है। ‘वोकल फॉर लोकल’ आदिवासी कला कौशल को आय का साधन बना रहा है। ”
प्रधानमंत्री ने कहा कि स्वतंत्रता के बाद पहली बार देश में जनजातीय गौरव और विरासत को प्रदर्शित करने के लिए आदिवासी संग्रहालयों की स्थापना की जा रही है। ‘अल्लूरी सीताराम राजू मेमोरियल ट्राइबल फ्रीडम फाइटर्स म्यूजियम’ आंध्र प्रदेश के लांबासिंगी में बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि विदेशी हुकूमत ने आदिवासी समुदाय पर सबसे अधिक अत्याचार किए और उनकी संस्कृति को भी नष्ट करने का प्रयास किया।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “ दशकों पुराने क़ानून जो आदिवासी लोगों को बांस जैसी वन-उपज को काटने से रोकते थे, हमने उन्हें बदलकर वन-उपज पर अधिकार दिये। ”
प्रधानमंत्री ने कहा, “ आज वन उत्पादों को प्रमोट करने के लिए सरकार अनेक नए प्रयास कर रही है। आठ साल पहले तक केवल 12 फॉरेस्ट प्रॉडक्ट की एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) पर खरीदी होती थी, लेकिन आज एमएसपी की खरीद लिस्ट में करीब-करीब 90 प्रॉडक्ट को वन-उपज के रूप में शामिल किया गया है। देश ने वन-धन योजना के जरिए वन सम्पदा को आधुनिक अवसरों से जोड़ने का काम भी शुरू किया गया है। देश में तीन हजार से अधिक वन-धन विकास केंद्रों के साथ ही 50 हजार से ज्यादा वन-धन सेल्फ हेल्प ग्रुप भी काम कर रहे हैं। ”
प्रधानमंत्री ने कहा कि देश के स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास केवल कुछ वर्षों, कुछ क्षेत्रों या कुछ लोगों तक सीमित नहीं है।
पीएम मोदी ने कहा, “ हमारे स्वतंत्रता आंदोलन का इतिहास हमारी विविधता, संस्कृति और एक राष्ट्र के रूप में हमारी एकता की ताकत का प्रतीक है। ”
प्रधानमंत्री ने इस दौरान ‘आदिवासी परंपरा’ और आंध्र प्रदेश से उभरे स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि दी।