नई दिल्ली, न्यायिक नियुक्तियों में विलंब को लेकर उच्चतम न्यायालय की फटकार के बाद सरकार ने कहा है कि इसने उच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की मंजूर संख्या को 906 से बढ़ाकर 1079 कर दिया है। सरकार ने कहा है कि राजग सरकार के शासनकाल में उच्च न्यायालयों में खाली पदों में असामान्य बढ़ोतरी नहीं हुई है। सूत्रों ने कहा कि उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की औसत नियुक्ति दर पिछले दो वर्षों में कम नहीं हुई है। हालांकि अप्रैल-दिसम्बर 2015 के दौरान एनजेएसी मामले की सुनवाई के कारण नई नियुक्तियां नहीं हुईं। एक सूत्र ने बताया कि भारत सरकार न्यायपालिका और इसकी स्वतंत्रता का काफी सम्मान करती है। भारत के प्रधान न्यायाधीश टी. एस. ठाकुर द्वारा खाली पदों को भरने को लेकर की गई कड़ी टिप्पणी के संदर्भ में यह बयान आया है। सूत्रों ने कहा कि सरकार अदालतों में बढ़ती रिक्तियों को लेकर चिंतित है और इसलिए सरकार खाली पदों को भरने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि जून 2014 में जहां मंजूर पद 906 थे वहीं वर्तमान सरकार ने इस वर्ष जून में इसे बढ़ाकर 1079 कर दिया है।
सूत्रों ने कहा कि मीडिया में ऐसा पेश किया जा रहा है कि हाल के समय में उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों के खाली पदों में असामान्य बढ़ोतरी हुई है। सूत्र ने बताया, बहरहाल पिछले दस वर्ष के आंकड़ों से पता चलता है कि इस तरह की कोई असामान्य बढ़ोतरी नहीं हुई है। ब्यौरा देते हुए सूत्रों ने कहा कि पिछले दस वर्ष के दौरान रिक्तियों की संख्या 265 से 280 के बीच रही। इसी तरह उच्च न्यायालयों में काम करने वाले न्यायाधीशों की संख्या करीब 600 के पास रही। भारत के प्रधान न्यायाधीश और कांग्रेस सहित विपक्षी दलों के हमले के परिप्रेक्ष्य में सूत्रों ने बताया कि उच्च न्यायालयों में काम करने वाले न्यायाधीशों की वर्तमान संख्या 620 है। सूत्र ने बताया कि पिछले दो वर्षों में न्यायाधीशों के न्यायाधीशों के 173 नये पद सृजित किए गए। इससे उच्च न्यायालयों में रिक्त पदों की संख्या बढ़ी है।
वर्ष 2009..2014 के दौरान उच्च न्यायालयों में केवल 20 नये पद सृजित हुए जबकि 2015 और 2016 में 173 नये पद सृजित हुए। सूत्र ने कहा कि अगर हम उस समय को हटा दें तो उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति की औसत वाषिर्क दर 63 फीसदी बढ़ी है (74 से 121 प्रति वर्ष)। उन्होंने कहा कि सरकार न्यायाधीशों की नियुक्ति में तेजी लाने को इच्छुक है और जैसा कि अदालत में बताया गया है उच्च न्यायालयों में 86 नई नियुक्तियां हुई हैं। 121 न्यायाधीशों को स्थायी किया गया है, 14 मुख्य न्यायाधीश बनाए गए हैं और चार मुख्य न्यायाधीशों का स्थानांतरण हुआ है। सूत्रों ने कहा कि 18 अतिरिक्त न्यायाधीशों को सेवा विस्तार दिया गया है और चार न्यायाधीशों को उच्चतम न्यायालय में नियुक्ति दी गई है। इसके अलावा उच्च न्यायालयों के 33 न्यायाधीशों का तबादला भी हुआ है।