मौसम में बदलाव आते ही लोगों में कोलेस्ट्रॉल के बढ़ने की शिकायत भी बढ़ जाती है। फास्ट फूड इसका एक कारण हो सकता है। खाने में फैट की मात्रा अधिक इस्तेमाल होने पर वो कोलेस्ट्रॉल के स्तर को ही बढ़ाता है। खून का गाढ़ा होना, दिल से संबंधी रोगों की शिकायत होना इसके आम लक्षण हैं। मौसम के बदलाव के साथ ब्लड लिपिड स्तर में भी उतार-चढ़ाव हो सकता है। मौसम के बदलाव के साथ ब्लड लिपिड स्तर में उतार-चढ़ाव हो सकता है। सर्दियों में यह बढ़ सकता है, जबकि गर्मियों में यह कम हो सकता है। यह उतार-चढ़ाव पांच एमजी तक का हो सकता है। ब्लड कोलेस्ट्रॉल स्तर का सीधा संबंध दिल के रोगों से है। ब्लड कोलेस्ट्रॉल का स्तर जितना ज्यादा होगा, दिल के रोगों और दौरे का खतरा उतना ही ज्यादा होगा।
भारत में महिलाओं और पुरुषों की मौतों का सबसे बड़ा कारण दिल का दौरा है। कोलेस्ट्रॉल स्तर में 10 प्रतिशत की गिरावट से दिल के दौरे की संभावना 20 से 30 प्रतिशत तक कम हो जाती है। इसलिए हाई कोलेस्ट्रॉल की जांच, इलाज और बचाव के बारे में जागरूक होना बेहद जरूरी है। सीरम टोटल और एचडीएल-कोलेस्ट्रोल की जांच भूखे पेट और खाने के बाद की जाती है। इन दोनों के माप में मामूली सा चिकित्सकीय फर्क होता है। तनाव, मामूली बीमारी और गलत पॉश्चर की वजह से किसी व्यक्ति में चार से 11 प्रतिशत तक कोलेस्ट्रॉल की मात्रा का फर्क हो सकता है। अलग-अलग प्रयोगशाला से भी 14 प्रतिशत तक का फर्क आ सकता है। यानि अगर किसी का सीरम कोलेस्ट्रॉल 200 एमजी आया है, तो यह 172 से 228 एमजी के बीच हो सकता है। अगर अचूक जांच की जरूरत हो, तो एक से ज्यादा बार जांच करानी चाहिए। सीरम एचडीएल-सी और ट्राइग्लिसराइड्स में इससे भी ज्यादा फर्क हो सकता है।