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सामने आया, मुजफ्फरनगर दंगा पीड़ितों को दी गई, अखिलेश सरकार की मदद का सच

muzaffarnagar_camp--621x414लखनऊ, वर्ष 2013 में हुये मुजफ्फरनगर के साम्प्रदायिक दंगों को लेकर विपक्षी दल, यूपी की समाजवादी सरकार पर अक्सर पीड़ितों को  आवश्यक सहायता न उपलब्ध कराने का आरोप लगाते हैं। लेकिन ये आरोप सच्चाई से बहुत दूर हैं। क्योंकि अखिलेश सरकार ने दंगा पीड़ितों को यथासंभव मदद उपलब्ध करायी है। इस कार्य के लिये यूपी सरकार ने तिरसठ करोड़ से अधिक की धनराशि खर्च की है।

मुजफ्फरनगर के साम्प्रदायिक दंगों का सच यह है कि यूपी की समाजवादी सरकार ने वर्ष 2013 में मुजफ्फरनगर के साम्प्रदायिक दंगों में 952 परिवारों को एक मुश्त पुर्नवास सहायता, 543 चल सम्पत्ति की क्षतिपूर्ति, 62 अचल सम्पत्ति की क्षतिपूर्ति, 36 मृतकों के आश्रितों/उत्तराधिकारियों को, 27 सामान्य रूप से घायलों को, 14 गंभीर रूप से घायलों व अन्य को कुल 63,30,04,325 रुपये की धनराशि वितरित की है। यह जानकारी, अपर जिलाधिकारी, मजफ्फरनगर की ओर से नायब तहसीलदार, राकेश वर्मा ने सुनवाई के दौरान राज्य सूचना आयोग को दी।

दरअसल, बाराबंकी निवासी  उत्तम सिंह ने सूचना का अधिकार अधिनियम -2005 के तहत जनसूचना अधिकारी/अपर जिलाधिकारी, मुजफ्फरनगर को आवेदन-पत्र देकर जानकारी चाही थी कि वर्ष 2013 में मुजफ्फरनगर के सांप्रदायिक दंगे को नियंत्रित करने के लिए कितनी सरकारी धनराशि का खर्च हुई तथा दंगे में कितने लोगों की मृत्यु व चोटिल हुए है, उनको कितनी-कितनी धनराशि का मुआवजा दिया गया है। विभाग द्वारा वादी को इस सम्बन्ध में कोई जानकारी नहीं दी गयीं। अधिनियम के तहत सूचना न मिलने पर वादी ने राज्य सूचना आयोग में प्रार्थना-पत्र देकर मामले की जानकारी चाही है। राज्य सूचना आयुक्त हाफिज उस्मान ने जनसूचना अधिकारी, अपर जिलाधिकारी, मुजफ्फरनगर को सूचना का अधिकार अधिनियम-2005 की धारा 20 (1) के तहत नोटिस जारी कर आदेशित किया कि वादी द्वारा उठाये गये बिन्दुओं की बिन्दुवार सभी सूचनाएं अगले 30 दिन के अन्दर अनिवार्य रूप से वादी को उपलब्ध कराते हुए आयोग को अवगत कराये। जिसके अनुपालन मे यह सूचना प्राप्त हुयी।

 

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