संयुक्त राष्ट्र, महात्मा गांधी, डॉक्टर मार्टिन लूथर किंग और नेल्सन मंडेला ने अपनी विरासत के माध्यम से यह उदाहरण पेश किया है कि अहिंसा के जरिए किसी भी संघर्ष का हल निकाला जा सकता है। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थाई प्रतिनिधि सैयद अकबरूद्दीन ने यह बात कही।
न्यूयॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम के दौरान भारत के शीर्ष राजनयिक ने कहा कि तीनों नेताओं ने राष्ट्रव्यापी प्रवृति वाले सामाजिक और राजनीतिक बदलाव लाने के लिए अहिंसा की वकालत की है।उन्होंने कहा कि अभी भी संघर्षों का हल शांतिपूर्ण तरीके से अहिंसा से निकालने के विचार पूरी दुनिया में प्रतिध्वनित हो रहे हैं।
अकबरूद्दीन ने कहा, ‘‘महात्मा गांधी, डॉक्टर मार्टिन लूथर किंग और नेल्सन मंडेला की विरासत यही है कि वह इस मूल सोच के उदाहरण हैं कि सभी संघर्षों का हल अहिंसा के रास्ते निकल सकता है। यही विचार संयुक्त राष्ट्र की गतिविधियों का भी मूल है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘महात्मा गांधी, मार्टिन लूथर किंग और नेल्सन मंडेला की उपलब्धियां दर्शाती हैं कि अहिंसा के मार्ग पर चलते हुए प्रेरणा के माध्यम से किये गए बदलाव, बलात किये गए बदलावों के मुकाबले ज्यादा टिकाऊ होते हैं।’’ वह संयुक्त राष्ट्र महासभा के 72वें सत्र की बैठक को संबोधित कर रहे थे। इस बैठक को सत्र के अध्यक्ष मिरोस्लाव लाजकाक सहित अन्य प्रतिनिधियों ने भी संबोधित किया।
संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 17 जून, 2007 को एक प्रस्ताव पारित कर महात्मा गांधी की जयंती दो अक्तूबर को अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया था। तभी से दो अक्तूबर को पूरी दुनिया में अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में मनाया जाता है।