दावोस , वर्ल्ड इकनॉमिक फोरम के अंतर्राष्टरीय मंच पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जबान कई बार फिसल गई जिससे अर्थ का अनर्थ हो गया।अपने भाषण के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बोलने मे लगातार गलती पर गलती करते चले गये।
दावोस में विश्व आर्थिक मंच से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक वैश्विक नेता के तौर पर भाषण दिया। 52 मिनट के इस संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई वैश्विक चुनौतियों का जिक्र किया और उनसे पार पाने के रास्ते भी सुझाए। लेकिन कई मौकों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जुबान एेसी फिसली कि अर्थ का अनर्थ हो गया।
भारत की आजादी का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि ‘भारत की आजादी के 17 साल’। जबकि उन्हे भारत की आजादी के 70 साल का जिक्र करना था।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हड़बडा़बट मे एक और जगह गलती कर बैठे। भाषण के दौरान, वह रोज मर्रा को ‘रोज मरा’ बोल गए। गलतियां यहीं नही रूकी, अपने भाषण के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक जगह तो दुनिया खत्म करने की बात कह डाली। दरअसल यहां वह दूरियां खत्म करने की बात कर रहे थे, लेकिन उनकी जुबान से दूरियां की जगह दुनिया निकल गया।
दुनिया को अपनी सरकार का विजन बताते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, ‘भारत के छह सौ करोड़ मतदाताओं ने 2014 में तीस साल बाद पहली बार किसी एक राजनीतिक पार्टी को केंद्र में सरकार बनाने के लिए पूर्ण बहुमत दिया। हमने किसी एक वर्ग या कुछ लोगों के सीमित विकास का नहीं बल्कि सबके विकास का संकल्प लिया। मेरी सरकार का मोटो है – सबका साथ सबका विकास। प्रगति के लिए हमारा विजन समावेशी है। यह समावेशी दर्शन मेरी सरकार की हर नीति का, हर योजना का आधार है।’
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारतीय लोकतंत्र की ताकत का जिक्र करते हुए भारत में मतदाताओं की संख्या को गलती से 600 करोड़ बता दिया। जबकि भारत की कुल आबादी करीब 130 करोड़ है और वोटरों की संख्या 80 करोड़ के आस-पास है।
गलतियां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक ही सीमित नही रही पीएमओ ने भी उसी लिखे हुए भाषण के उस हिस्से को बिना चेक किए ट्वीट कर दिया। हालांकि सोशल मीडिया पर इस गलती के वायरल होते ही पीएमओ ने इसे अपने ट्विटर अकाउंट से तुरंत हटा लिया। हटाए जाने से पहले इसे 100 से ज्यादा बार रीट्वीट किया जा चुका था। जो एक बड़ी चूक है।