अपीलीय अदालत में नया साक्ष्य नहीं लिया जा सकता- हाई कोर्ट
September 12, 2017
इलाहाबाद, इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कहा है कि अपीलीय न्यायालय को अधीनस्थ न्यायालय की पत्रावली के आधार पर ही फैसला लेने का अधिकार है और वह अलग से साक्ष्य नहीं ले सकता लेकिन विशेष परिस्थितियों में सीपीसी के उपबंधों के आधार पर अपील की सुनवाई करते समय भी साक्ष्य लिया जा सकता है।
न्यायालय ने कहा है कि यदि पक्षकार को विचारण न्यायालय ने साक्ष्य पेश करने का अवसर दिया है और वह साक्ष्य नहीं देता तो अपील की सुनवाई करते समय उसे साक्ष्य पेश करने की छूट नहीं मिल सकती।
अदालत का कहना है कि वकील की गलत सलाह के चलते साक्ष्य नहीं पेश किया या साक्ष्य केस के फैसले के लिए अति आवश्यक है, के आधार पर अपील की सुनवाई करते समय साक्ष्य पेश करने की छूट नहीं मिल सकती। केवल अपरिहार्य कारणों से ही अपील की सुनवाई करते समय साक्ष्य पेश करने की छूट दी जा सकती है।
न्यायालय ने अपील की सुनवाई करते समय साक्ष्य पेश करने की अर्जी निरस्त करने के अधीनस्थ अदालत के आदेश पर हस्तक्षेप करने से इन्कार कर दिया है। न्यायमूर्ति एस पी केशरवानी ने भदोही के निवासी प्रहलाद और सात अन्य की याचिका पर आज यह आदेश दिया है।
गौरतलब है कि चंद्रबदन और छह अन्य ने खम्हरिया गांव के खेत संख्या 446 रकबा 6 बिस्वा 17 धुर के स्थाई निषेधाज्ञा का 1999 में सिविल वाद दाखिल किया। विपक्षी याची ने 31 दिसम्बर 1969 का समझौता करार दाखिल किया। जिस पर शादी ने आपत्ति की कि वह फर्जी है तो विपक्षी याची ने अन्य साक्ष्य नहीं देने का फैसला लिया।
न्यायालय ने समझौता करार को संदेहास्पद माना जिसे अपील में चुनौती दी गई। अपील की सुनवाई करते समय याची ने समझौता करार पर विशेषज्ञ रिपोर्ट की माँग में अर्जी दी जिसे अदालत ने खारिज कर दिया तो वह याचिका दाखिल की गयी थी।