नयी दिल्ली , नये अंतर्राष्ट्रीय फार्मूले के अनुरूप देश में एक किलोग्राम के सटीक नये बाट तैयार करने में तीन से चार साल का समय लगेगा और इस पर करीब 60 करोड़ रुपये का खर्च आयेगा।
उपभोक्ता मामलों के सचिव अविनाश कुमार श्रीवास्तव और राष्ट्रीय भौतिकी प्रयोगशाला के निदेशक दिनेश असवाल ने आज यहाँ संवाददाता सम्मेलन में यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि बजट उपलब्ध होने के बाद तीन से चार साल में बाट तैयार हो जायेगा। देश में एक ग्राम का बाट तैयार कर लिया गया है।
उन्होंने बताया कि मापतौल को लेकर 60 देशों के प्रतिनिधियों के सम्मेलन में एक किलोग्राम वजन के बराबर की वस्तु के प्रोटोटाइप में बदलाव करने तथा एक किलोग्राम के बाट को अधिक वैज्ञानिक बनाने काे लिए श्केबल बैलेंस फार्मूलाश् बनाने का निर्णय लिया गया। पहले दुनिया के अधिकांश देश फ्रांस में रखे एक किलोग्राम के मेन प्रोटोटाइप से अपने प्रोटोटाइप का मिलान करते थे।
कुमार और असवाल ने बताया कि यदि एक किलोग्राम में 10 माइक्रोग्राम ;ग्राम का एक लाखवाँ हिस्साद्ध या इससे ज्यादा की कमी आती है तो इसका दवा उद्योग पर बुरा असर होगा। कई बार माप के सटीक नहीं होने के कारण दवाएं काम नहीं करती हैं या ओवर डोज हो जाता है। दवा उद्योग के अलावा नैनो प्र्रौद्योगिकी और बायो प्रौद्योगिकी को नये माप का फायदा मिलेगा। उन्होंने कहा कि माप की इकाई मीटर में भी बदलाव किया जायेगा और यह लेजर इंटर फैरो मीटर पर आधारित होगा।