मुंबई, रिजर्व बैंक (आरबीआई) अप्रवासी भारतीयों की पारिवारिक जरूरतों, वरिष्ठ नागरिकों और शिक्षा संबंधी लेनदेन को ध्यान में रखते हुए विदेश में रहने वाले लोगों को भारत बिल भुगतान प्रणाली (बीबीपीएस) प्लेटफॉर्म के जरिये ऑनलाइन बिल भुगतान करने सुविधा उपलब्ध कराएगा।
आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति की तीन दिवसीय बैठक के बाद शुक्रवार को गवर्नर शक्तिकांत दास ने बताया कि बीबीपीएस मानकीकृत बिल भुगतान के लिए एक इंटरऑपरेबल प्लेटफॉर्म है। इसने भारत में यूजरों के बिल भुगतान अनुभव को बदल दिया है। वर्तमान में 20,000 से अधिक यूजर इस प्रणाली का हिस्सा हैं और इसके माध्ययम से मासिक आधार पर आठ करोड़ से अधिक लेनदेन किए जाते हैं। अब बीबीपीएस को सीमा पार से होने वाले बिल भुगतान स्वीकार करने में सक्षम बनाने का प्रस्ताव है। यह प्रवासी भारतीयों (एनआरआई) को भारत में अपने परिवारों की जरूरत, शिक्षा और ऐसे अन्य भुगतानों के लिए बिल भुगतान करने में सक्षम करेगा। इससे विशेष रूप से वरिष्ठ नागरिकों को बहुत लाभ होगा।
उन्होंने कहा कि आरबीआई ने समय-समय पर विनियमित संस्थाओं (आरई) द्वारा कुछ गतिविधियों की आउटसोर्सिंग में जोखिम प्रबंधन पर दिशा-निर्देश जारी किए हैं। आउटसोर्सिंग की बढ़ती प्रवृत्ति को देखते हुए इससे संबंधित जोखिमों के प्रबंधन के लिए आरई के ढांचे को उपयुक्त रूप से मजबूत करने की आवश्यकता है। इसलिए, मौजूदा दिशा-निर्देशों को सुसंगत और समेकित करने के उद्देश्य से हितधारकों की टिप्पणियों के लिए वित्तीय सेवाओं की आउटसोर्सिंग में जोखिम प्रबंधन और आचार संहिता पर एक मसौदा निर्देश शीघ्र ही जारी किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक एकीकृत लोकपाल योजना (आरबी-आईओएस) ने ग्राहक शिकायत निवारण तंत्र में सुधार किया है। इसके के तहत शिकायत निवारण की समय अवधि में काफी कमी आई है। आरबी-आईओएस को और अधिक व्यापक बनाने के लिए इस ढांचे के तहत क्रेडिट सूचना कंपनियों (सीआईसी) को शामिल करने का निर्णय लिया गया है। यह सीआईसी के खिलाफ शिकायतों के लिए एक लागत मुक्त वैकल्पिक निवारण तंत्र प्रदान करेगा। इसके अलावा सीआईसी को अपना आंतरिक लोकपाल (आईओ) ढांचा रखना भी अनिवार्य किये जाने का निर्णय लिया गया है।