लखनऊ, आमतौर पर सॉफ्टवेयर बनाने में कोडिंग भाषा का इस्तेमाल होता है लेकिन अब यह काम संस्कृत की व्याकरण से होगा। हाल ही में राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान के संस्कृत फॉर सोसाइटी प्रोजेक्ट से जुड़े एकेटीयू, एलयू व बीबीएयू सॉफ्टवेयर में संस्कृत की ग्रामर का इस्तेमाल करेगा।
एकेटीयू एक ऐसा मोबाइल ऐप भी लॉन्च करेगा जिसकी मदद से ऑनलाइन संस्कृत सीखी जा सकेगी। वही, दूसरी ओर लखनऊ विश्वविद्यालय अब विभिन्न विषयों के शोध मे गुणवत्ता लाने के लिए संस्कृत को बढ़ावा देगा। इस प्रोजेक्ट के लिए दोनों विश्वविद्यालय राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान (डीम्ड यूनिवर्सिटी) लखनऊ परिसर के साथ मिलकर काम करेंगे। एकेटीयू में जहां इसके लिए कमेटी का गठन किया जा चुका वहीं एलयू में जल्द ही कमेटी तैयार होगी।
संस्कृत संस्थान के डॉ पवन कु मार ने बताया कि संस्कृत फॉर सोसाइटी प्रोजेक्ट का अपडेट लगातार राज्यपाल राम नाईक को दिया जा रहा है। संस्कृत संस्थान के प्रोफेस पवन कुमार ने बताया कि एकेटीयू के साथ मिलकर वह लोग ट्रेडिशनल इंडियन नॉलेज सिस्टम को नेचुरल लैग्वेज प्रोसेसिंग के माध्यम के एक्सप्लोर करेंगे। उन्होने बताया कि सभी भाषाओं में सबसे बेहतर और सटीक व्याकरण संस्कृत का हैं। इसलिए इसके सिद्धातों का प्रयोग कर जो सॉफटवेयर डवलप होंगे उनकी एक्यूरेसी सबसे अच्छी होगी। खास बात यह है कि संस्कृत में किसी भी भाषा का व्याकरण समाहित हो जाता है। आईआईआईटी पहले से इस तरह का काम कर रहे है। ऐसा करने से जहां तकनीक बेहतर होगी, वही हमारी प्राचीन भाषा का भी प्रचार-प्रसार होगा।
एकेटीयू कुलपति प्रो विनय कुमार पाठक के निर्देश पर बनी कमेटी में इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोजॉजी (आईईटी) के कम्प्यूटर साइंस विभाग के अध्यक्ष प्रो मनीष गौड़ भी शामिल है। प्रो मनीष ने बताया कि संस्कृत भाषा कम्प्यूटर लैंग्वेज के लिए मैथेमेटिकल व ग्रामेटिकल तौर पर बहुत एक्यूरेट है। एकेटीयू कुलपति प्रो विनय कु मार पाठक ने बताया कि संस्कृत प्राचीन भाषा है। इसके साहित्य का अध्यन कर बहुत -सी जानकारियां मिलती है। आज यदि कोई इंटरनेट पर किसी सर्च इंजन में इंग्लिश सीखने के लिए वेबसाइट खोजे तो लंबी फेहरिस्त सामने हा जाएगी। वहीं, किसी को संस्कृत सीखनी हो तो सीमित विकल्प है। प्रो विनय ने बताया कि विवि जल्द ही हाऊ टू लर्न संस्कृत मोबाइल ऐप तैयार कराएगा। इसमें यह भी सुविधा होगी कि सब्सक्राइब करने वाले के फोन कर प्रतिदिन सुबह संस्कृत के श्लोक जाएंगे। संस्कृत फॉर सोसाइटी प्रोजेक्ट के तहत लखनऊ विश्वविद्यालय सोशल साइंस व ह्यूमेनिटीज के क्षेत्र में शोध की गुणवत्ता को बेहतर करेगा।
डॉ. पवन ने बताया कि जेएनयू सहित देश के कुछ विश्विद्यलय इस तरह से शोध करवा रहे हैं। इसके तहत यदि कोई छात्र इतिहास में भी शोध करता है तो उसकी जरूरत के अनुसार संस्कृत प्रोफिशिएंसी का कोर्स कराया जा सकता है। इससे उसे अधिक एक्यूरेट डाटा मिलेगा।