कांग्रेस ने भाजपा अध्यक्ष अमित शाह पर पलटवार करते हुए कहा कि उन्हें अपनी पार्टी के नेताओं का इतिहास पता होना चाहिए। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एस जयपाल रेड्डी ने पीटीआई भाषा से कहा, ‘‘ मुखर्जी पर 1946 में ढाका में दंगों में शामिल होने का आरोप लगा था । इसलिए नेहरू के समक्ष मुखर्जी को क्यों खड़ा करना जबकि मुखर्जी का रिकार्ड साफ नहीं हो । ’’कश्मीर पर निर्णय पंडित जवाहर लाल नेहरू के मंत्रिमंडल ने लिया था जिसके मुखर्जी हिस्सा थे । मंत्रिमंडल की बैठक में कश्मीर मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र ले जाने का निर्णय किया गया, मुखर्जी ने कोई बात नहीं रखी और न ही तब मीडिया में किसी रिपोर्ट में ऐसी कोई बात सामने आई । ’’
उन्होंने कहा, ‘‘ इसलिए उस निर्णय में मुखर्जी भी उतने ही हिस्सेदार थे, जितने नेहरू । ’’ एस जयपाल रेड्डी ने कहा कि जब नेहरू सरकार ने अनुच्छेद 371 के तहत जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने का निर्णय किया तब भी मुखर्जी नेहरू के मंत्रिमंडल में सदस्य थे। मुखर्जी ने मंत्रिमंडल से इस आधार पर इस्तीफा दिया कि जम्मू कश्मीर सरकार के नेता के रूप में शेख अब्दुल्ला को ठीक ढंग से शिकस्त नहीं दी गई थी । उन्होंने कहा कि मुखर्जी ने संयुक्त राष्ट्र या अनुच्छेद 371 के मुद्दे को उस समय मुद्दा नहीं बनाया।
रेड्डी ने इस बात पर जोर दिया कि मुखर्जी को भारत के विभाजन के पूर्व जोड़ने वाली ताकत के रूप में नहीं पेश किया जाना चाहिए क्योंकि कांग्रेस नेताओं के ‘विपरीत’ मुखर्जी ने बंगाल के विभाजन की वकालत की थी। भाजपा अध्यक्ष पर चुटकी लेते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘‘ अमित शाह को इतिहास की जानकारी नहीं है। उन्हें कम से कम अपने पार्टी नेताओं के इतिहास की जानकारी होनी चाहिए । वह राष्ट्रीय राजनीति में काफी नये हैं। ’’
पंडित जवाहर लाल नेहरु मंत्रिमंडल में उद्योग और आपूर्ति मंत्री रहे पर नेहरु के साथ मतभेदों के कारण मंत्रिमंडल और कांग्रेस पार्टी से त्यागपत्र देकर एक नयी राजनैतिक पार्टी ‘भारतीय जनसंघ’ की स्थापना की। केंद्र सरकार में मंत्री बनने से पहले वो पश्चिम बंगाल सरकार में वित्त मंत्री रह चुके थे।