अमेठी, प्रदेश की सत्तासीन समाजवादी पार्टी से गठबंधन हो जाने के बाद भी गांधी परिवार के गढ़ अमेठी में आगामी विधानसभा चुनाव में टिकट को लेकर सस्पेंस अभी भी बरकरार है। अपना टिकट पक्का करने के लिये दावेदारों को जमीनी कार्यकर्ताओं का भी सहारा लेना पड़ रहा है, जो कि उन कार्यकर्ताओं से बड़े नेताओं व उनके प्रतिनिधियों को फोन करवाकर टिकट हासिल करना चाहते हैं।
गांधी परिवार के चुनावी गढ़ की प्रतिष्ठापूर्ण तिलोई सीट पर कांग्रेस पार्टी से करीब आधा दर्जन लोगों ने अपनी दावेदारी ठोकी है। इसी बीच कांग्रेस ने सत्तासीन समाजवादी पार्टी से हाथ मिला लिया और गठबंधन कर अपनी साख बचाना चाहती है, क्योंकि बीते चुनाव में अमेठी लोकसभा की पांच सीटों में मात्र दो ही सीटों पर कांग्रेस अपना विधायक बना पाई थी। इसमें से तिलोई के विधायक ने पार्टी को अलविदा कह दिया। कांग्रेस पार्टी के सामने भी काली छाया के बादल मंडराने लगे कि आखिर वह कौन ऐसा करतब दिखाए जिससे तिलोई की सीट एक बार फिर से उसकी झोली में आ सके। तिलोई सीट से वैसे तो पांच लोगां ने टिकट मांगा है, लेकिन इसमें अपना टिकट पक्का करने के लिये एक दावेदार को गांव व बूथ स्तर के जमीनी कार्यकर्ताओं का सहारा लेना पड़ रहा है। जो कि दिल्ली के बड़े नेताओं व उनके प्रतिनिधियों को इनकी अच्छी छवि का फोन भी कराया जाने लगा है। जो अन्य लोगों को कतई रास नहीं आ रहा है। कांग्रेस पार्टी को इस सीट पर अपना परचम एक बार फिर से लहराने के लिये एक मजबूत व टिकाऊ व्यक्ति की तलाश अभी भी है। विधानसभा चुनाव में बसपा व भाजपा ने अपने प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं। जिसमें भाजपा ने पूर्व विधायक मयंकेश्वर शरण सिंह व बसपा ने विधायक डॉ. मोहम्मद मुस्लिम के सुपुत्र मोहम्मद सऊद पर दांव लगाया है। कांग्रेस पार्टी में इस समय एक अनार सौ बीमार वाली कहावत चरितार्थ हो रही है। पार्टी ने किसे प्रत्याशी बनाया। इसको लेकर दिन भर अफवाहों का बाजार गर्म रहता है। आम वोटर भी अब यह जानना चाहता है कि पार्टी देखो किस पर दांव लगाती है, इसको लेकर सस्पेंस अभी भी कायम है।