नई दिल्ली, केंद्र सरकार ने अरुणाचल प्रदेश में एक महीने से भी ज्यादा समय से चल रही राजनीतिक उठापटक के बीच मंगलवार को राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया और विधानसभा को निलंबित रखा।राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने पिछले दो दिनों में गहन विचार विमर्श के बाद मंगलवार को केंद्रीय कैबिनेट की सिफारिश को मंजूरी प्रदान कर दी और इस आधार को स्वीकार कर लिया कि राज्य में संवैधानिक संकट है। गृह मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि अरुणाचल प्रदेश के राज्यपाल की रिपोर्ट के अनुसार राज्य में पैदा हुए संवैधानिक संकट पर संज्ञान लेते हुए केंद्रीय कैबिनेट ने 24 जनवरी 2016 को अपनी बैठक में राष्ट्रपति से ऐसी उद्घोषणा जारी करने का अनुरोध किया था।
इस मामले के सुप्रीम कोर्ट में होने के कारण कांग्रेस और अन्य दलों ने इस कदम की तीखी आलोचना की और इसे लोकतंत्र की हत्या करार दिया।प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने की तीखी आलोचना करते हुए कांग्रेस, जेडीयू, सीपीआई और आप ने इसे संघवाद और लोकतंत्र की हत्या करार दिया और बीजेपी नीत केंद्र सरकार पर देश की सुप्रीम कोर्ट को अपमानित करने का आरोप लगाया जो अभी मामले की सुनवाई कर रही है।
बीजेपी ने इस फैसले का बचाव करते हुए कहा कि इसे कई नजरिए से देखने की जरूरत है और यह संवैधानिक दायित्वों के अनुरूप है। इसके साथ ही पार्टी ने कांग्रेस पर मुद्दे का राजनीतिकरण करने का आरोप लगाया। कांग्रेस प्रवक्ता टॉम वडक्कन ने कहा, ‘यह लोकतंत्र की हत्या है। मामला कोर्ट में है और सरकार ने जल्दबाजी में कार्रवाई की है। यह साफ तौर पर देश के सुप्रीम कोर्ट का अपमान है। लोकतंत्र की हत्या की गयी है।’ दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने राष्ट्रपति शासन लगाए जाने की तुलना आपातकाल जैसी स्थिति से की। उन्होंने ट्वीट किया, ‘अरुणाचल में राष्ट्रपति शासन, आडवाणी जी सही कह रहे थे कि देश में आपातकाल जैसी स्थितियां हैं।’ मुखर्जी ने सोमवार को गृह मंत्री राजनाथ सिंह को बुलाया था और राष्ट्रपति शासन लगाए जाने की आवश्यकता के बारे में उनसे कुछ सवाल किए थे। वहीं राज्य में सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी ने भी उनसे मुलाकात की थी और कैबिनेट के फैसले का विरोध किया था।केंद्रीय गृह राज्य मंत्री किरण रिजिजू ने कहा था कि कैबिनेट यह फैसला लेने को बाध्य थी क्योंकि वहां संवैधानिक संकट पैदा हो गया था और राज्य विधानसभा के दो सत्रों के बीच छह महीने की अवधि पूरी हो गई थी।