भुवनेश्वर, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आजादी के आंदोलन के इतिहास को ‘कुछ समय’ और ‘कुछ परिवारों’ तक सीमित रखे जाने पर आज खेद व्यक्त किया।
मोदी ने यहां एक कार्यक्रम में 1817 में अंग्रेजों के खिलाफ पाइका विद्रोह आंदोलन में शहादत देने वाले 16 परिवारों को सम्मानित किया। इस अवसर पर उन्होंने आजादी के आंदोलन में हिस्सा लेने वाले आदिवासियों की वीरता की सराहना की।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आजादी के आंदोलन की एक लम्बी श्रृंखला रही है और उन सभी सामयिक घटनाओं का स्मरण करने और उससे युवा पीढ़ी को अवगत कराये जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि आदिवासी या जनजातीय वर्ग के लोग विभिन्न राज्यों में रहते है और उन्होंने आजादी की लड़ाई में उल्लेखनीय योगदान दिया है।
श्री मोदी ने कहा कि आने वाली पीढ़ी को यह पता चलना चाहिए कि अभाव की जिंदगी जीने के बावजूद उपेक्षित वर्ग के इन लोगों ने आजादी के लिए किस प्रकार की कुर्बानी दी थी। उन्होंने कहा कि आजादी के आंदोलन में हिस्सा लेने के कारण ओडिशा में जनजातीय वर्ग के सैंकड़ों लोगों को फांसी दी गयी थी और हजारों लोगों को जेल की सजा भुगतनी पड़ी थी।
उन्होंने कहा कि आजादी के आंदोलन में हिस्सा लेने वाले आदिवासियों के त्याग को याद करने के वास्ते और भावी पीढ़ी को उससे शिक्षा लेने के लिए सरकार देश के विभिन्न हिस्सों में वर्चुअल म्यूजियिम स्थापित कर रही है।