आजादी के बाद पहली बार राजपथ परेड पर दिखेंगे आजाद हिन्द फौज के पूर्व सैनिक

नयी दिल्ली ,  देश की आजादी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली आजाद हिन्द फौज ;आईएनएद्ध को आखिरकार आजादी के 70 साल बाद राजपथ पर होने वाली गणतंत्र दिवस परेड में शामिल होने का गौरव मिला है और इसके चार पूर्व सैनिक परेड में सेना के रणबांकुरों के साथ दिखायी देंगे। सेना के मुख्यालय दिल्ली क्षेत्र के चीफ ऑफ स्टॉफ मेजर जनरल राजपाल पूनिया ने आज यहां गणतंत्र दिवस परेड की जानकारी देने के लिए बुलाये गये संवाददाता सम्मेलन में कहा कि देश की सैन्य शक्ति और सांस्कृतिक धरोहर की झांकी पेश करने वाली गणतंत्र दिवस परेड के इतिहास में यह पहला मौका है जब आईएनए के चार पूर्व सैनिक इस परेड में हिस्सा लेंगे।

उन्होंने कहा कि यह सेना के लिए फक्र की बात है। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि इन सैनिकों की उम्र 95 से 100 साल के बीच की है इसलिए इन्हें चुनने के लिए किसी मानदंड का औचित्य नहीं था। आईएनए के इन जीवित पूर्व सैनिकों से परेड में शामिल होने के लिए संपर्क किया गया था। ये सैनिक एक खुली जीप में सलामी मंच के सामने से गुजरेंगे। इन पूर्व सैनिकों के नाम चंडीगढ के लालतीराम ;98द्धए गुरूग्राम के परमानंद ;99द्धए हीरा सिंह ;97द्ध ए और भागमल ;95द्ध हैं। मेजर जनरल पूनिया ने बताया कि इस बार की परेड की एक और विशेषता यह है कि इसमें नारी शक्ति की मौजूदगी पिछले वर्षों की तुलना में कहीं अधिक होगी। तीनों सेनाओं के मार्चिंग दस्ते की कमांडर महिला अधिकारी होंगी और असम रायफल्स का एक महिला दस्ता भी परेड में अपने कौशल दिखायेगा। इसके अलावा सेना की एक महिला अधिकारी मोटरसाइकिल पर करतबबाजी दिखायेगी।

उन्होंने कहा कि अन्य आकर्षणों में सेना के लिए अमेरिका से खरीदी गयी एम.777 अल्ट्रा लाइट हावित्जर तोप और मेक इन इंडिया के तहत देश में ही बनायी गयी के.9 वज्र तोप पहली बार राजपथ पर सेना की ताकत की झलक पेश करेगी। के.9 वज्र तोप को लार्सन और टूब्रो ने बनाया है। डीआरडीओ द्वारा बनायी जाने वाली मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल तथा अर्जुन बख्तरबंद रिकवरी वाहन भी पहली बार परेड की शान बढायेंगे। एक अन्य आकर्षण वायु सेना का मालवाहक विमान ए एन.32 होगा जो पहली बार जैव ईंधन से उडान भरेगा और राजपथ से गुजरेगा। परेड में पहली बार सशस्त्र सेनाओं की मार्शल धुन शंखनाद की गूंज भी सुनाई देगी। हालाकि लगभग डेढ घंटे की परेड में इस बार लोगों को हाथी पर सवार बहादुर बच्चों की झलक नहीं दिखायी देगी। इसकी जगह प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार से सम्मानित 26 बच्चे जीप में सवार दिखायी देंगे। इन बच्चों को शैक्षणिकए खेलए बहादुरी और नवाचार जैसे छह क्षेत्रों से चुना गया है।

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