आत्महत्या के बजाय दलित एकजुट होकर व्यवस्था के खिलाफ लड़े

जयपुर,  पंजाब के एक दलित कार्यकर्ता बंत सिंह ने कहा है कि दलितों को आत्महत्या करने के बदले एकजुट होकर अन्याय के खिलाफ लड़ने की जरूरत है। बंत सिंह ऊंची जातियों द्वारा किए गए एक हमले में अपने हाथ और पैर गंवा बैठे हैं।उनका जीवन संघर्ष 2002 में तब शुरू हुआ, जब सवर्ण युवाओं के एक समूह ने उनकी बड़ी बेटी के साथ दुष्कर्म किया था। वहीं 2006 में हमलावरों ने उन पर लोहे की छड़ से हमला किया, जिसके बाद उन्हें अपने हाथ और पैर गंवाने पड़े। इसके बावजूद सिंह ने अपनी आवाज बुलंद रखी। बंत सिंह ने बताया, यह धारणा है कि पंजाब समृद्ध राज्य है। हालांकि राज्य में दलित बड़ी संख्या में हैं और किसान खराब हालत में हैं। उन्होंने कहा, यहां हम लोगों को बताने के लिए आए हैं कि जमीनी स्तर पर क्या हो रहा है।

हैदराबाद विश्वविद्यालय के दलित छात्र, रोहित वेमुला की आत्महत्या का जिक्र करते हुए बंत सिंह ने कहा, आत्महत्या समाधान नहीं है। हमेंbant singh के खिलाफ लड़ने की जरूरत है। मैंने अपनी किसी भी लड़ाई के आगे घुटने नहीं टेके हैं। जयपुर साहित्य महोत्सव के मौके पर बातचीत में सिंह ने कहा कि उनका जीवन देश में जातिवाद और भेदभाव के खिलाफ संघर्ष का सबसे अच्छा उदाहरण है। सिंह ने कहा, हैदराबाद के संघर्ष में मैं छात्रों के साथ हूं। मेरी लड़ाई तब तक जारी रहेगी, जब तक मैं जिंदा हूं। मेरी विकलांगता कोई बाधा नहीं है। मैं अपने हाथ-पैर किसी दुर्घटना में भी गंवा सकता था। उनके जीवन पर आधारित पुस्तक का विमोचन जयपुर महोत्सव में हुआ। वह पंजाब के मानसा जिले में बुर्ज झब्बर गांव से हैं।

 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button