नई दिल्ली,आपके लोन की ईएमआई अब और कम होने वाली है। आर्थिक मोर्चे पर सुस्ती के संकेतों के बीच आरबीआई की लगातार चौथी मौद्रिक नीति समीक्षा में बुधवार को ब्याज दर में 0.25 फीसदी की कटौती तय मानी जा रही है। हालांकि ग्राहकों को राहत बैंकों के भरोसे ही है।
जनवरी से आरबीआई तीन बार रेपो दर में कटौती कर इसे 5.75 फीसदी पर ला चुका है, लेकिन ज्यादातर बैंकों ने 0.15 से 0.25 फीसदी की राहत ग्राहकों तक पहुंचाई है। इससे ब्याज दरों में कमी के जरिये अर्थव्यवस्था में तेजी लाने का उद्देश्य पूरा नहीं हो पा रहा है। अगर लगातार चौथी बार ब्याज दर में कमी होती है तो 5.5 फीसदी के साथ यह अप्रैल 2010 के बाद सबसे कम स्तर पर होंगी। विशेषज्ञों ने कहा कि बैंकों की औसत कर्ज दर जनवरी में 10.38% और मई में 10.41% रही, यानी ब्याज दर में कमी के बावजूद कर्ज लेना महंगा हुआ।
अगर नए कर्ज की बात करें तो औसत कर्ज दर इस दौरान 9.86 से 9.97 फीसदी रही जो 0.75 फीसदी की कटौती का महज 15 फीसदी ही है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इसी मुद्दे पर सोमवार को सरकारी और निजी बैंकों के प्रमुखों के साथ बैठक की थी। बैंक ब्याज दर में कटौती का पर्याप्त लाभ देने पर विचार करने को सहमत भी हुए थे।
1. अर्थशास्त्री भी राहत देने के पक्ष में 36 अर्थशास्त्रियों के बीच ब्लूमबर्ग के सर्वे में ज्यादातर की राय है कि ब्याजदर में कटौती होगी। अर्थशास्त्रियों ने कहा है कि अर्थव्यवस्था को तेज रफ्तार देने के लिए भविष्य में एक-दो और कटौती भी मुमकिन हैं। एसबीआई प्रमुख रजनीश कुमार ने भी 0.25% कटौती की उम्मीद जाहिर की। सीआईआई ने 0.50% कटौती की मांग की है।
2. एचडीएफसी बैंक ने विभिन्न परिपक्वता अवधि के ऋणों पर ब्याज दर में 0.10 प्रतिशत की कटौती की। एचडीएफसी की एक साल के लिए न्यूनतम कर्ज दर अब 8.60 फीसदी होगी। इससे होम लोन और ऑटो लोन की ईएमआई घटेगी।
3. 9.86 से 9.97% है नए लोन पर औसत ब्याज दर
4. 0.15 से 0.25 फीसदी ही घटाई बैंकों ने ब्याज दर
5. 9.4 से 11 फीसदी में मिल रहा है बैंकों से कर्ज ग्राहकों को
6. 9 साल में सबसे कम होंगी ब्याज दर कटौती की गई तो
7. 5.5 फीसदी पर पहुंच जाएगी रेपो दर आरबीआई के निर्णय से
8. 0.75 फीसदी की कटौती की आरबीआई ने तीन बार में