
राष्ट्रपति ने श्री तजानी और उनके प्रतिनिधिमंडल का स्वागत करते हुए कहा , “ भारत और इटली दोनों ही प्राचीन सभ्यतागत विरासत में निहित हैं, तथा हमारे दर्शन, साहित्य और कला के माध्यम से दुनिया को योगदान देने का गौरवपूर्ण इतिहास है। हम सदियों से व्यापार और लोगों तथा विचारों के आदान-प्रदान के माध्यम से एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं।” उन्होंने कहा कि दोनों देश उभरती प्रौद्योगिकियों, नवाचार और रक्षा में घनिष्ठ सहयोग कर रहे हैं और जी-20 जैसे बहुपक्षीय मंचों पर भी मिलकर काम कर रहे हैं।
श्रीमती मुर्मु ने कहा कि दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार और निवेश में वृद्धि की बहुत संभावना है। भारत की तीव्र आर्थिक वृद्धि और 2047 तक ‘विकसित भारत’ का रोडमैप औद्योगिक साझेदारी और सहयोग के लिए कई अवसर पैदा करता है। उन्होंने इतालवी कंपनियों और सार्वजनिक उपक्रमों को भारत में विशेष रूप से विनिर्माण और सह-उत्पादन के लिए अपने संचालन का विस्तार करने के लिए आमंत्रित किया। उन्होंने इतालवी हरित प्रौद्योगिकी कंपनियों से भारतीय उद्योग के साथ सहयोग और साझेदारी की संभावनाओं का पता लगाने का भी आग्रह किया।
राष्ट्रपति ने कहा,“ नवंबर 2024 में रियो में प्रधानमंत्री मेलोनी और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की बैठक के दौरान घोषित संयुक्त रणनीतिक कार्य योजना अगले पांच वर्षों के लिए एक खाका है। यह कार्य योजना हमारे संयुक्त प्रयासों को गति देने के लिए एक मार्गदर्शक ढांचा होगी।’’
राष्ट्रपति ने कहा कि यह अच्छी बात है कि इतालवी विश्वविद्यालय और अनुसंधान केंद्र भारतीय भागीदारों के साथ सहयोग की संभावनाएं तलाश रहे हैं। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति ने विदेशी विश्वविद्यालयों को भारत में परिसर खोलने की सुविधा प्रदान की है। इतालवी विश्वविद्यालयों को भारत में परिसर खोलने के लिए आमंत्रित किया जा सकता है। दोनों नेताओं ने सहमति व्यक्त की कि आने वाले समय में भारत-इटली रणनीतिक साझेदारी नई ऊंचाइयों पर पहुंचेगी।