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इटावा सफारी पार्क में टिकट घोटाला

इटावा, देश भर के पर्यटकों को आकर्षित करने वाली उत्तर प्रदेश की इटावा सफारी पार्क मे टिकट घोटाला सामने आने से हडंकप मच गया है। सफारी सूत्रों के अनुसार टिकट घोटाला करीब दस लाख के आसपास माना जा रहा है लेकिन अधिकारिक तौर पर इसको मात्र दो लाख 58 हजार रूपये ही बताया गया है ।

सफारी पार्क के निदेशक के.के.सिंह ने बुधवार को टिकट घोटाले की पुष्टि करते हुए बताया कि टिकट खिड़की पर टिकटों की बिक्री में घालमेल करके इटावा सफारी को ढाई लाख से अधिक का चूना लगाया गया। टिकट घोटाले करके सफारी को चूना लगाने का कारनामा करने वाले सफारी के स्थाई और अस्थाई कर्मी ही है ।

इस घोटाले के सामने आने के बाद सफारी के चतुर्थ श्रेणी के कर्मी सोहन सिंह को निलंबित कर वन दरोगा अशोक कुमार शर्मा को स्थानांतरित कर दिया गया था लेकिन अस्थाई कर्मियो के खिलाफ आज तक कोई भी कार्यवाही अमल मे नही लाई गई है । स्थाई कर्मियो के खिलाफ कार्यवाही किये जाने और अस्थाई कर्मियो को राहत दिये जाने को लेकर सफारी प्रबंधन पर सवालिया निशान भी लग रहा है ।

काग्रेंस के पूर्व जिलाध्यक्ष उदयभान सिंह यादव ने इस मुद्दे के सामने आने के बाद बताया कि जब कभी किसी भी संस्था मे घोटाला सामने आता है तो फिर उच्च स्तरीय जांच कराई जाती है लेकिन सफारी के घोटाले मे ऐसा ना करके अधिकारियो ने घोटाले की रकम को बंदरबांट करने का काम किया है ।

सफारी पार्क को वर्ष 2019 में 25 अक्टूबर को पर्यटकों के लिए खोला गया था। मुख्य द्वार पर टिकट खिड़की बनाई गई थी । इसी टिकट खिड़की से टिकटों की बिक्र्री की जाती थी। मामला यह रहा कि इस खिड़की पर बैठने वाले जिम्मेदार कर्मचारियों ने टिकट मशीन के पासवर्ड को जान लिया और टिकटों में पर्यटकों की संख्या में हेरफेर करके हेराफेरी करते रहे। यह मामला जब 4 माह तक चलता रहा तब किसी तरह सफारी के एक तत्कालीन अधिकारी के संज्ञान में आया तो मामले की जांच बैठा दी गई ।

एक कर्मी को निलंबित कर दिया गया और एक को स्थानांतरित कर दिया गया है लेकिन जिन अस्थाई कर्मियो ने इस घोटाले को अंजाम दिया उनके खिलाफ कोई कार्यवाही अमल मे नही लाई गई है ।

इस दौरान दूसरी ओर से मामले को दबाने की कोशिश भी होती रही । कोरोना महामारी के बाद अक्टूबर 2020 में सफारी को खोला गया लेकिन पूरा महीना बीतने से पहले ही सफारी के तत्कालीन डायरेक्टर वी.के.सिंह का तबादला हो गया । इसके बाद राजीव मिश्रा सफारी के डायरेक्टर बनकर आए । उन्होंने इस मामले को लेकर एक दरोगा को कई पत्र लिखे और स्पष्टीकरण मांगा लेकिन पूरा मामला साफ हो पाता इससे पहले 31 मार्च को डायरेक्टर राजीव मिश्रा भी रिटायर हो गए। राजीव मिश्रा के रिटायर होने के बाद वन संरक्षक ए.के.सिंह को सफारी का डायरेक्टर बनाया गया । इस बीच जिन कर्मचारियों ने घालमेल किया था उनसे घालमेल की गई 2 लाख 58 हजार की रकम की वसूली की जाती रही ।