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इलाहबाद पश्चिम सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला

election-5इलाहबाद, उत्तर प्रदेश चुनाव में इलाहबाद  विधानसभा सीट पर बसपा की एक युवा विधायक तीसरी बार निर्वाचित होने के लिए ताल ठोंक रही है जबकि सपा की ओर से छात्र नेता से नेता बनीं युवा उम्मीदवार और दिल्ली से भाजपा का एक दिग्गज प्रत्याशी उनके सामने चुनौती पेश कर रहे हैं जिसके चलते यहां मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है। एक दशक से ज्यादा समय पहले राजनीति में कदम रखने वाली पूजा पाल  ने लम्बा सफर तय कर लिया है।

वह अपने पति राजू पाल की हत्या के बाद 2005 में राजनीति में आयी। उनके पति तीन महीने तक इस सीट पर विधायक रहे थे। पूजा पाल इस सीट के लिए हुये उपचुनाव में मतदान में हेराफेरी के आरोपों के बीच माफिया डॉन से नेता बने और उनके पति की हत्या के मुख्य आरोपी आतिक अहमद से चुनाव हार गयीं। हालांकि उन्होंने अच्छी खासी छवि बनायी और लोगों की सहानुभूति हासिल ली और आखिकार 2007 में बसपा की ओर से इस सीट पर निर्वाचित हुयीं।

वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में बसपा की हार हुयी लेकिन पूजा ने जीत दर्ज की। राज्य में किसी भी जिले में सबसे ज्यादा 12 विधानसभा सीटों वाले इलाहबाद में बसपा की वह इकलौती विजेता उम्मीदवार थीं। बहरहाल, इस बार समीकरण बदल गये हैं। अंकगणित के लिहाज से देखे तो इस बार के समीकरण समाजवादी पार्टी की उम्मीदवार रिचा सिंह  के पक्ष में जा सकते हैं। वह आजादी के बाद इलाहबाद विश्वविद्यालय के छात्र संघ की पहली महिला अध्यक्ष बनकर दो साल पहले सुर्खियों में आयीं।

वह बिना थके चुनाव प्रचार कर रही हैं और उन्हें मुख्यमंत्री अखिलेश यादव द्वारा बनायी गयी छवि का फायदा मिल सकता है। साथ ही सपा और कांग्रेस के गठजोड़ से विभिन्न समुदाय के वोट उनके पक्ष में जा सकते हैं। इलाहबाद  के रण में इस बार एक और अहम उम्मीदवार भाजपा के राष्ट्रीय सचिव सिद्धार्थ नाथ सिंह है। वह पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के नाती है जो इलाहबाद सीट से लोकसभा सांसद रहे थे। इलाहबाद (पश्चिम) सीट पर 23 फरवरी को मतदान होगा।

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