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इस शहर से जुलाई में भी रहेगा पांच ग्रहों को देखने का अवसर

जयपुर, राजस्थान की राजधानी जयपुर से जुलाई में भी आकाश में शुक्र, मंगल, बृहस्पति, शनि एवं बुध ग्रहों को देखा जा सकेगा।

बी एम बिड़ला ताराघर के सहायक निदेशक संदीप भट्टाचार्य ने आज बताया कि जुलाई में भी इन ग्रहों को देखने एवं पहचानने का अवसर बरकरार है और झिलमिलाते-टिमिटमाते सितारों के बीच जगह बदल रहे इन पांच ग्रहों को कोरी आंखों से रात को आसमान में देख सकेंगे।

श्री भट्टाचार्य ने बताया कि इन ग्रहों की अपनी कोई रोशनी नहीं होती, ये सूर्य के प्रकाश को परावर्तित करते हैं। इनकी चमक भी दूरी एवं स्थिति के अनुसार घटती-बढ़ती रहती है। हर ग्रह की अपनी एक अलग रंगत होती है और यही ग्रह की सही पहचान करवाती है। सूर्य का नजदीकी सबसे छोटा ग्रह बुध भोर में पूर्वी क्षितिज पर मौजूद है। जुलाई के पूर्वाध में इसे देखने का अच्छा अवसर है। सवेरे पूर्व उत्तर क्षितिज से लगभग 15 डिग्री ऊंचाई पर इसे ढूंढ़ने से इसका दीदार हो सकता है। बुध चार जुलाई को क्षितिज से अपनी अधिकतम ऊँचाई पर और 23 जुलाई से सूर्य के प्रभा में होगा। इस दौरान यह अच्छी चमक में रहेगा।

उन्होंने बताया कि सबसे चमकदार शुक्र ग्रह ‘सांझ का तारा’ बनकर पश्चिमी क्षितिज पर लुभा रहा है। सूर्यास्त के ठीक बाद पश्चिमी क्षितिज पर थोड़ा उत्तर में दमकता हुआ नजर आयेगा। यह दिन प्रतिदिन धीरे-धीरे क्षितिज पर ऊपर उठ रहा है। महारथी मंगल पश्चिमी क्षितिज पर डटा हुआ है। चमकदार शुक्र से थोड़ा ही ऊपर गुलाबी रंगत मे एक तारे जैसा लग रहा है लाल मंगल। तेरह जुलाई को शुक्र एवं मंगल साथ-साथ होंगे। इसके बाद मंगल और नीचे सरक जायेगा जो सूर्य की प्रभा में छिपने को तत्पर है। सबसे विशाल ग्रह बृहस्पति कुम्भ राशि एवं वक्र गति में है। यह संध्याकाल में दिन प्रतिदिन जरा जल्दी उदय हो रहा है।

सबसे सुन्दर ग्रह वलयधारी शनि भी वक्र गति में हैं यह मकर राशि के धुंधले तारों के बीच अपना डेरा जमाये हुए है। अंधेरा घिरते ही यह पूर्वी क्षितिज पर उदय होगा और पूरी रात, पूरे माह नजर आयेगा। शनि के लगभग डेढ़ घण्टे बाद पीछे-पीछे बृहस्पति अपनी सफेद उज्जवल आभा से सभी को आकर्षित करेगा। शनि एवं बृहस्पति दोनों पूरी रात अपनी छटा बिखेरेगें। भोर में दिक्षण-पश्चिम क्षितिज पर इन दोनों को देखा जा सकता है। चन्द्रमा आठ, बुध 12, शुक्र एवं मंगल 24 तथा 26 जुलाई को बृहस्पति ग्रह के आस-पास रहेगा। उत्तरी आसमान में सप्तऋषि एवं काश्यिप एक साथ नजर आ रहे हैं। शनि एवं बृहस्पति की मौजूदगी से संध्याकाल की रौनक बढ़ गई है।