उत्तर प्रदेश में दवाओं की गुणवत्ता पर सख्त निगरानी

लखनऊ, उत्तर प्रदेश में औषधि निर्माण इकाइयों की निगरानी और दवाओं की गुणवत्ता पर नियंत्रण के लिए खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग ने राज्यव्यापी विशेष अभियान चलाया है। आयुक्त के निर्देश पर की गई इस कार्रवाई में प्रदेश के विभिन्न जिलों में 37 कफ सिरप बनाने वाली कंपनियों की औषधि निर्माण शालाओं की जांच की गई।
निरीक्षण के दौरान 38 रॉ मटेरियल व 31 फिनिश्ड गुड्स के नमूने लिए गए। इन नमूनों को प्रयोगशाला जांच के लिए भेजा गया है। अभियान के दौरान लखनऊ, सहारनपुर, मथुरा और अलीगढ़ में चार निर्माण इकाइयों को औषधि नियमों के उल्लंघन पर अन हाइजेनिक कंडीशन पाए जाने पर निर्माता फर्म को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है।
इसके साथ ही राज्यभर के अस्पतालों, बाल चिकित्सा इकाइयों, नर्सिंग होम और औषधि दुकानों से 595 कफ सिरप के नमूने एकत्र किए गए हैं। ये नमूने जांच के लिए प्रयोगशाला भेजे गए हैं। संदिग्ध पाए जाने पर संबंधित फर्मों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई की जाएगी।
खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन के अधिकारियों ने बताया कि राज्य सरकार औषधियों की गुणवत्ता पर किसी भी स्तर पर समझौता नहीं करेगी। उपयुक्त मानक न मिलने पर लाइसेंस निरस्त करने की कार्रवाई भी की जाएगी।
विभाग के अनुसार, पिछले चार वर्षों में अन्य राज्यों के कई निर्माताओं जैसे डिजिटल विजन (हिमाचल प्रदेश), कोल्ड बेस्ट, तुलब्रोस फार्मूलेशन (उधम सिंह नगर), बेनसेट-डी, नेक्सपर फार्मा (बड्डी, हिमाचल प्रदेश) आदि की कफ सिरप दवाओं में अशुद्धता और गुणवत्ता दोष पाए गए थे। इनमें डोलो 250 सिरप के नमूनों में इथिलीन ग्लाइकॉल की अत्यधिक मात्रा पाई गई थी, जो भारत सरकार द्वारा जारी डब्ल्यूएचओ अलर्ट के अंतर्गत आती है। इसी प्रकार रेस्पिरेफेन्स टी आर और शेप फार्मा (गुजरात) द्वारा निर्मित रिलीफ कफ सिरप की बिक्री व वितरण की सतत निगरानी रखी जा रही है।