करनाल, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा है कि प्राकृतिक ऑक्सीजन लेने के लिए राज्य में एक वर्ष में तीन करोड़ पेड़ लगाए जाएंगे तथा पंचायतों की आठ लाख एकड़ भूमि में से 10 प्रतिशत पर पेड़-पौधे लगाए जाएंगे जिसे ऑक्सी वन नाम दिया जाएगा।
श्री खट्टर ने विश्व पर्यावरण दिवस पर आज यहां सेक्टर-4 के समीप मुगल कैनाल पर वन विभाग की जमीन पर ऑक्सी वन की शुरूआत करने के मौके पर अपने सम्बोधन में यह बात कही। उन्होंने कहा कि प्राण वायु देवता के नाम से देश में अपनी तरह की अनूठी योजना के तहत 75 साल से ऊपर के वृक्षों के रखरखाव के लिए 2500 रुपये प्रतिवर्ष पेंशन दी जाएगी और इस पेंशन में भी बुढ़ापा सम्मान पेंशन के अनुसार हर वर्ष वृद्धि होगी। प्राकृतिक ऑक्सीजन को बढ़ावा देने के लिए राज्य के हर गांव में पंचवटी नाम से पौधारोपण किया जाएगा। इसके अलावा खाली जमीन पर एग्रो फोरेस्टी को भी बढ़ावा दिया जाएगा ताकि ग्रामीण क्षेत्रों में पंचायतों की आय बढ़े।
इस मौके पर वन एवं शिक्षा मंत्री कंवरपाल गुर्जर, सांसद संजय भाटिया, घरौंडा के विधायक हरविंद्र कल्याण, वन विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव जी. अनुपमा ने पंचवटी में पौधारोपण किया जिसमें बेल, बरगद, आंवला, पीपल और अशोक के पेड़ों का पौधारोपण किया। इसके अलावा, तीन अन्य परियोजनाओं की भी इसी कार्यक्रम से शुरूआत की गई, इनमें प्राण वायु देवता पेंशन स्कीम, नगर वन पंचकूला का शिलान्यास, कुरुक्षेत्र तीर्थ के 134 स्थलों पर पंचवटी पौधारोपण शामिल है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना महामारी में सबसे बड़ी समस्या ऑक्सीजन की हुई जो पेड़-पौधों से मिलती है। प्राण वायु का कोई विकल्प नहीं, इसी कारण से इसका नाम ऑक्सी वन रखा गया है। कोरोना काल में जो भी ऑक्सीजन प्रयोग की गई वह कृत्रिम थी और प्रदेश में 300 टन ऑक्सीज़न का प्रबंध किया गया। एग्रो फोरेस्टी करने वाले किसान को सरकार तीन वर्ष तक 10 हजार रुपये प्रोत्साहन स्वरूप देगी। सरकार ने मेरा पानी-मेरी विरासत की शुरूआत की गई थी ताकि भावी पीढ़ी के लिए पानी की बचत की जा सके। इसके लिए धान की रोपाई बंद कर अन्य फसल बीजने पर सरकार प्रति एकड़ 7 हजार रुपये दे रही है। अब निर्णय लिया गया है कि जो किसान एग्रो फोरेस्ट्र करता है और अपनी जमीन पर 400 पेड़ लगाता है तो उसे राज्य सरकार सात हजार रुपये की जगह 10 हजार रुपये तीन वर्ष तक सम्मान राशि देगी।
श्री खट्टर ने कहा कि राज्य के सभी शहरों में पांच से 100 एकड़ तक की भूमि पर ऑक्सी वन लगाए जाएंगे। उन्होंने कहा कि सरकार ने पौधारोपण को बढ़ावा देने के लिए पौधागिरी नाम से एक योजना शुरू की थी जिसके तहत 22 लाख लोगों ने पौधारोपण किया। इस योजना से विद्याार्थियों को भी जोड़ा गया और उन्हें 50 रुपये हर छह माह में तीन वर्ष के लिए देने के लिए निर्णय लिया गया था ताकि पौधों का रखरखाव किया जा सके। उन्होंने कहा कि पौधारोपण के बाद उसका रखरखाव नहीं हो पाता जिस कारण अधिकतर पौधे दो साल में ही समाप्त हो जाते हैं। हर व्यक्ति को चाहिए कि वह अपने परिवार के बच्चे की तरह पेड़-पौधों की परवरिश करे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि विश्व पर्यावरण दिवस के उपलक्ष्य पर पंचकूला शहर के निवासियों को उपहार स्वरूप बीड़ घग्गर में सौ एकड़ क्षेत्र में लगभग एक करोड़ रुपये की लागत से ऑक्सी वन की शुरू की जा रही है। इसी प्रकार, ऑक्सी वन, करनाल को पुरानी बादशाही नहर (जिसे मुगल नहर के रूप में भी जाना जाता है) पर 80 एकड़ के क्षेत्र में कुल 4.2 किलोमीटर की लम्बाई में बनाया जाएगा और इस पर कुल पांच करोड़ रुपये की राशि खर्च होगी। इसमें चित वन (सौंदर्य का वन), पाखी वन (पक्षियों का वन), अंतरिक्ष वन (राशि पौधों का वन), तपो वन (ध्यान का वन), आरोग्य वन (चिकित्सा / हर्बल वन), नीर वन (झरनों का वन), ऋषि वन (सप्त ऋषि), पंचवटी (पांच पेड़), स्मरण वन (स्मृतियों का वन), सुगंध सुवास/सुगंध वन जैसे विभिन्न हिस्से विकसित किए जाएंगे। इसमें एक सूचना केंद्र और एक स्मारिका दुकान भी होगी जिसमें पार्क एवं उसके घटकों से सम्बंधित जानकारी उपलब्ध होंगी, लोग अपनी राशि से सम्बंधित पौधे और अपने घरों में रखने के लिए पौधे रियायती दरों पर भी खरीद सकेंगे। इसके अलावा, इस पार्क में एक रंगभूमि (एम्फीथिएटर) का निर्माण भी किया जाएगा जहां कलाकार जनता के मनोरंजन के लिए प्रस्तुति दे सकेंगे। यहां ऑक्सी वन के विभिन्न पहलुओं को लेकर लाइट एंड साउंड शो भी दिखाया जाएगा। यह परियोजना हरियाणा वन विभाग, केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय और नगर समिति, करनाल का एक संयुक्त उद्यम होगा।
मुख्यमंत्री ने करनाल ऑक्सी वन के विभिन्न घटकों के बारे विस्तार से बताया कि ‘चित वन’ में कचनार, अमल्तास, प्राइड ऑफ इंडिया, सीमल, इंडियन कोरल, सीता अशोक, जावा कैसिया, लाल गुलमोहर, गोल्डन शावर, पैशन फ्लावर, आदि जैसे सजावटी और विभिन्न मौसमों में खिलने वाले फूलों के पौधे होंगे। ‘पाखी वन’ में पीपल, बरगद, पिलखान, नीम आदि जैसे पौधे होंगे। ‘अंतरिक्ष वन’ में पलाश/ढाक, कटहल, गुल्लर, आंवला, कृष्ण नील, चंपा, खैर, बिलवा (बेल), आदि जैसे भाग्य बढ़ाने वाले पौधे लगाए जाएंगे। ‘आरोग्य वन’ में तुलसी, अश्वगंधा, नीम, एलोवेरा, हरड़, बहेड़ा, आंवला, आदि जैसे औषधीय पौधे होंगे। ‘सुगंध वाटिका’ में सुगंधराज, चमेली, रात की रानी(नाइट क्वीन), डे किंग, पारिजात, चंपा, गुलाब, हनी सक्ल, पासिफ्लोरा आदि के सुगंधित पौधे होंगे। इन पौधों को उनकी अजीबोगरीब खुशबू से पहचाना जा सकता है और इसलिए यह उन लोगों के लिए वरदान होगा जो देख नहीं सकते।
उन्होंने कहा कि पंचवटी का सांस्कृतिक, पौराणिक और पर्यावरणीय महत्व है। पंचवटी का शाब्दिक अर्थ है पांच पेड़। ये पेड़ हैं बरगद़, पीपल, बिलवा आंवला और सीता अशोक। उन्होंने कहा कि पौराणिक महत्व के अलावा, ये पेड़ बहुत सारे पारिस्थितिक और पर्यावरणीय लाभ भी प्रदान करते हैं। भारतीय वास्तु के अनुसार, पंचवटी में इन पेड़ों को अलग-अलग दिशाओं में लगाया जाएगा। कुरुक्षेत्र, कैथल, करनाल और पानीपत जिलों में स्थित सभी 134 कुरुक्षेत्र तीर्थों में ऐसे पंचवटी वाटिकाएं स्थापित की जाएंगी।