पिलानी, विमान से उतरने के बाद यात्रियों की सबसे बड़ी चिंता अपने सामान को लेकर होती है और उनकी यह चिंता जायज भी है क्योंकि देश के 449 हवाई अड्डों पर हर दिन 128 बैग इधर उधर हो जाते हैं तभी तो इस वर्ष के स्मार्ट इंडिया हैकाथॉन की स्मार्ट कम्युनिकेशन श्रेणी के फाइनल में पहुंची 13 टीमों में तीन ऐसे दलों को शामिल किया गया था, जिन्होंने इस समस्या के समाधान के मॉडल पेश किये।
पिलानी स्थित वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर)- सीरी में आयोजित स्मार्ट कम्युनिकेशन वर्ग के ग्रैंड फिनाले में नयी दिल्ली के भारती विद्यापीठ कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, नवी मुंबई के एसआईईएस ग्रेजुएट स्कूल ऑफ टेक्नोलॉजी एवं बेंगलुरु के आर वी कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग की छह-छह सदस्यीय टीमों ने इस समस्या के समाधान के लिए अपने हार्डवेयर उत्पाद के प्रोटोटाइप प्रस्तुत किये। इनमें से बेंगलुरु और नयी दिल्ली की टीमों ने प्रतियोगिता में क्रमश: दूसरा और तीसरा स्थान हासिल किया।
पुडुचेरी सरकार ने इस साल के स्मार्ट इंडिया हैकाथॉन में इस समस्या को रखा था। बेंगलुरु की टीम का नेतृत्व सुप्रीत वाई एस ने किया। इस टीम ने अपने उत्पाद में पैसिव आरएफआईडी (रेडियो फ्रिक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन) टैग का इस्तेमाल किया है। इस टैग के जरिये बैग की वास्तविक स्थिति पर नजर रखी जा सकेगी एवं बैगेज खोने की स्थिति में इस टैग की मदद से उसे आसानी से ढूंढा जा सकेगा। साथ ही यात्री अपने स्मार्टफोन की मदद से बैग की वास्तविक स्थिति पर नजर रख सकेंगे। इसके अलावा यात्रियों को बैगेज की स्थिति के बारे में एसएमएस के जरिये भी सूचना प्राप्त होगी।
सुप्रीत ने बताया कि यह टैग बहुत किफायती है और यात्री को इसके लिए महज 20 से 30 रुपये खर्च करने होंगे। उन्होंने बताया कि इन टैग को फिर से इस्तेमाल किया जा सकता है और यात्री चाहे तो गंतव्य तक पहुंचने के बाद इस टैग को अपने साथ घर ले जा सकेंगे। वे अपनी मूल्यवान वस्तुओं एवं पालतू पशुओं को इस टैग के जरिये ट्रैक कर सकेंगे।
हर्षिल बंसल की अगुवाई वाली दिल्ली की टीम ने भी कुछ इसी तरह का प्रोटोटाइप पेश किया। दिल्ली टीम की अगुवाई कर रहे बंसल ने बताया कि उनके मॉडल की खासियत यह है कि इसमें यात्रियों के साथ-साथ भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण को भी बैगेज की वास्तविक स्थिति के बारे में जानकारी दी जाएगी। उन्होंने बताया कि उनके द्वारा प्रस्तावित मॉडल में बारकोड की पुरानी व्यवस्था को हटाने की आवश्यकता नहीं होगी और उनका टैग पहले की प्रणाली को बेहतर बनाएगा। इन दोनों टीमों द्वारा तैयार किया गया हरेक टैग 10-12 मीटर तक काम करेगा। दोनों टीमों ने बताया कि उन्होंने पैसिव आरएफआईडी का इस्तेमाल किया है जो हमारे स्वास्थ्य के लिए खतरनाक नहीं है।
गौरतलब है कि इस साल 29 मार्च को नयी दिल्ली स्थित इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के टर्मिनल – 3 पर सैकडों यात्रियों को ‘बैगेज क्लियरेंस’ में विलंब का सामना करना पड़ा, जिसके चलते लंबी कतारें लग गईं और उड़ानों में देर हुई। भाजपा की लोकसभा सदस्य हेमा मालिनी भी उन यात्रियों में शामिल थीं जिनका बैग अटक गया था। ऐसी खबरें मिली थीं कि समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव का बैग भी अटक गया था।
रेल मंत्री पीयूष गोयल भी मुंबई में एक कार्यक्रम में देरी से पहुंचे। सूत्रों ने बताया कि विमान के देरी से उड़ान भरने के चलते ऐसा हुआ।
भारत में कुल 449 हवाई अड्डे हैं और एक अनुमान के मुताबिक 128 बैग प्रतिदिन गलत हाथों में चले जाते हैं। इससे यात्रियों को असुविधा का सामना करना पड़ता है और उन्हें देरी होती है। सीएसआईआर-सीरी के निदेशक शांतनु चौधुरी ने इन प्रोटोटाइप के व्यावसायिक संस्करण लांच होने पर इस समस्या के समाधान की उम्मीद जतायी।