कैनबरा, ऑस्ट्रेलिया की राष्ट्रीय विज्ञान एजेंसी की एक टीम ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) का उपयोग कर अल्जाइमर रोग से संबंधित शोध में बड़ी सफलता हासिल की है।
कॉमनवेल्थ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (सीएसआईआरओ) ने बुधवार को बताया कि क्वींसलैंड यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी के साथ साझेदारी में उसने न्यूरोडीजेनेरेटिव बीमारियों में सेरेब्रल एट्रोफी को मापने के लिए दुनिया का पहला बेंचमार्क विकसित किया है। सेरेब्रल एट्रोफी बीमारी, संक्रमण या गंभीर चोट के कारण तंत्रिका कोशिकाओं और उन्हें संचार में मदद करने वाले संपर्क सूत्र के नष्ट हो जाने की स्थिति है। अल्जाइमर सहित न्यूरोडीजेनेरेटिव रोगों वाले रोगियों में इसके प्रसार को चुंबकीय अनुनाद इमेजिंग (एमआरआई) के माध्यम से मापा जाता है, लेकिन जांच के दौरान परिवतर्न बहुत मामूली यानी उप-मिलीमीटर रेंज में भी हो सकते हैं, जिससे उनका पता लगाना मुश्किल हो जाता है।
सीएसआईआरओ टीम ने उन्नत मशीन लर्निंग तकनीकों का उपयोग करके मस्तिष्क की अल्जाइमर से सबसे अधिक प्रभावित परत कॉर्टेक्स क्षेत्र में न्यूरोडीजेनेरेशन के पूर्वनिर्धारित संकेतों के साथ मस्तिष्क का एमआरआई लेने में सफलता हासिल की।
सीएसआईआरओ के ऑस्ट्रेलियन ई-हेल्थ रिसर्च सेंटर के शोध वैज्ञानिक फिलिप रुसाक ने मीडिया में जारी एक विज्ञप्ति में कहा, “मस्तिष्क की छवियों में नजर आने वाले इन संकेतों का निरीक्षण करने के लिए बेहद सटीक तरीकों की आवश्यकता होती है, ताकि उनका जल्द से जल्द उपचार किया जा सके। इन निष्कर्षों से पहले, अल्जाइमर रोगियों में कॉर्टिकल मोटाई को मापने के लिए उपयोग की जाने वाली विभिन्न विधियों की संवेदनशीलता को अंतिम रूप से निर्धारित करने का कोई तरीका नहीं था।”
इस सफलता के साथ, शोधकर्ता अब कॉर्टिकल मोटाई में 0.01 मिलीमीटर तक परिवर्तन को मापने के तरीकों की संवेदनशीलता का परीक्षण कर सकते हैं।
उन तरीकों के बेहतर परीक्षण से अल्जाइमर और न्यूरोडीजेनेरेशन से जुड़ी किसी भी अन्य बीमारी के शुरुआती निदान के लिए नई तकनीकों को बढ़ावा मिल सकता है। टीम ने इसे डिमेंशिया और अन्य मस्तिष्क रोगों को बेहतर ढंग से समझने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया है।
श्री रसाक ने कहा, “ये निष्कर्ष शोधकर्ताओं को काम के लिए सही उपकरण चुनने में मदद करेंगे। सही उपकरण रोग की प्रगति का सटीक आकलन करने की संभावना को बढ़ाता है।”