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ओबीसी आयोग को संवैधानिक दर्जा देने वाले संविधान संशोधन को लोकसभा में कैसे मिली मंजूरी

नयी दिल्ली,  लोकसभा ने आज राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देने से जुड़े संविधान :123वें संशोधन: विधेयक को मंजूरी दे दी। सरकार ने इस मौके पर विभिन्न दलों की आशंकाओं को दूर करते हुए आश्वस्त किया कि राज्यों के अधिकारों में कोई हस्तक्षेप नहीं करेंगे।

सदन ने राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग :निरसन: विधेयक, 2017 को ध्वनिमत से मंजूरी दे दी और संविधान :123वां संशोधन: विधेयक 2017 को मत-विभाजन के जरिये दो के मुकाबले 360 मतों से पारित कर दिया। अब इसे संविधान का 102वां संशोधन के रूप में जाना जाएगा।

विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री थावर चंद गहलोत ने कहा कि ओबीसी आयोग को संवैधानिक दर्जा देने की मांग लम्बे समय से थी जिसे हमने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पूरा किया है। सरकार ने ऐतिहासिक निर्णय किया है।

राज्यों में पिछड़ा वगोर्ं को चिहिनत करने के राज्यों के अधिकार समाप्त होने संबंधी बीजद सांसद भर्तृहरि महताब, तृणमूल कांग्रेस के कल्याण बनर्जी समेत कुछ विपक्षी सदस्यों की आशंकाओं को दूर करते हुए गहलोत ने कहा, ‘‘मैं आश्वस्त करता हूं कि राज्यों के आयोगों के अधिकार बरकरार रहेंगे। हम उनमें कोई हस्तक्षेप नहीं करने वाले। उन्हें कमजोर करने की हमारी कोई मंशा नहीं है और आगे भी ऐसा कोई विचार हम नहीं करेंगे।’

उन्होंने कहा कि संविधान के तहत राज्यपाल राज्य सरकार से परामर्श लेकर भारत सरकार से कोई सिफारिश करते हैं और हम ऐसे किसी भी परामर्श के बाद देखेंगे कि राज्य सरकार की सहमति उसमें है या नहीं। राज्य की सहमति के बाद ही विचार करेंगे। इस बीच सदन में कांग्र्रेस के नेता मल्लिकाजरुन खड़गे ने कहा कि सरकार परामर्श :कंसल्ट: की बात कर रही है लेकिन कंसल्ट और कंसेन्ट :सहमति: में बहुत अंतर होता है।

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