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कक्षा आठ तक हर राज्य में अनिवार्य हो हिन्दी

नई दिल्ली,  हिन्दी के हक की लड़ाई एक बार फिर सुप्रीमकोर्ट पहुंची है। एक नई जनहित याचिका दाखिल हुई है जिसमें कहा गया है कि सभी देशवासियों को एक सी भाषा आती हो और उन्हें एक दूसरे से बात व्यवहार में आसानी हो इसके लिए हर राज्य में कक्षा 1 से कक्षा 8 तक हिन्दी अनिवार्य की जाए। ये भी कहा गया है कि संविधान के मुताबिक हिन्दी के प्रचार प्रसार के लिए राष्ट्रीय नीति बनाई जाए।वकील व दिल्ली भाजपा प्रवक्ता अश्वनी उपाध्याय ने सुप्रीमकोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा है कि भारत सरकार ने सारे राज्यों से परामर्श करके 1968 मे त्रिभाषा फार्मूला तैयार किया।

जिसके मुताबिक हिन्दी भाषी राज्यों के लिए हिन्दी, अंग्रेजी और माडर्न इंडियन लैंग्वेज थी जबकि गैर हिन्दी भाषी राज्यों के लिए हिन्दी अंग्रेजी और प्रादेशिक भाषा थी। ये त्रिभाषा फार्मूला गैरहिन्दी राज्यों विशेषतौर पर कर्नाटक, आंध्रप्रदेश और तमिलनाडु की मांग पर तैयार किया गया था। बाद में नेशनल एजूकेशन कमीशन ने कुछ बदलाव वाला त्रिभाषा फार्मूले की सिफारिश की। लेकिन बाद में संसद ने 1968 का मूल फार्मूला ही स्वीकार किया। 1986 में नेशनल एजूकेशन पालिसी ने फिर से 1968 का फार्मूला दोहराया।

1990 में अली सरदार जाफरी की अध्यक्षता में नई विशेषज्ञ समिति बनी जिसने नया त्रिभाषा फार्मूला दिया। हिन्दी भाषी राज्यों के लिए हिन्दी, उर्दू या और कोई मार्डन इंडियन लैंगवेज तथा तीसरी भाषा में अंग्रेजी या अन्य कोई मार्डन यूरोपियन लैंग्वेज। गैर हिन्दी राज्यों के लिए प्रादेशिक भाषा, हिन्दी और उर्दू या अन्य कोई मार्डन इंडियन लैंग्वेज उर्दू की जगह अंग्रेजी या अन्य कोई मार्डन यूरोपियन लैंग्वेज थी। याचिका में कहा गया है कि आज तक सभी राज्यों ने इस त्रिभाषा फार्मूले को नहीं लागू किया है।कहा गया है कि नौकरशाह और हायर ज्युडिशरी के सदस्य जिन्होंने सिर्फ प्रादेशिक भाषा में अपनी पढ़ाई पूरी की है, वे हिन्दी बोल लिख या समझ नहीं सकते।

किसी और प्रादेशिक भाषा वाले राज्य में तबादला होने पर पर उन्हें काम में मुश्किल आती है। सबसे ज्यादा मुश्किल आम जनता से बातचीत में आती है जो कि किसी और प्रादेशिक भाषा को जानती है। याचिकाकर्ता का कहना है कि इस मुश्किल का आसान हल यही है कि प्रत्येक राज्य में अनुच्छेद 21ए में मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा के तहत 1 से कक्षा 8 तक हिन्दी अनिवार्य कर दी जाए। याचिका में हिन्दी की पैरोकारी करने वाले अनुच्छेद 343, 348 और 351 का भी हवाला दिया गया है।

कहा गया है कि कक्षा 8 तक सभी के लिए हिन्दी अनिवार्य कर दी जाए ताकि सभी भारतीय नागरिक आसानी से एक दूसरे से बातचीत और संव्यवहार कर सकें। इससे भाईचार, राष्ट्रीय एकता और अखंडता को बढ़ावा मिलेगा जिसकी बात हमारे संविधान की प्रस्तावना में कही गयी है। अभी उत्तर भारत का व्यक्ति अगर पूर्व, पश्चिम या दक्षिण भारत में जाता है तो विदेशी हो जाता है क्योंकि उसे वहां की प्रादेशिक भाषा बोलनी समझनी या लिखनी नहीं आती। यही स्थिति उन प्रदेशों से उत्तर भारत आने वालों की होती है। अनुच्छेद 343 में हिन्दी भारत की आफीशियल भाषा है ये देश के ज्यादातर भाग में बोली और समझी जाती है। कुछ ही राज्य हैं जहां सिर्फ प्रादेशिक भाषा बोली जाती है। एक समान प्रारंभिक शिक्षा इसमें महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकती है। याचिका में कक्षा आठ तक हिन्दी अनिवार्य किये जाने और हिन्दी भाषा के प्रचार प्रसार के लिए राष्ट्रीय नीति बनाए जाने की मांग की गई है।