प्रयागराज, किन्नर अखाड़े के महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने कहा कि वह उप देवता की श्रेणी में आते हैं और उप देवता को साधु.महात्मा से आज्ञा लेने की आवश्यकता नहीं है। गंगा पार झूंसी क्षेत्र में कुंभ मेले के लिए भूमि पूजन के बाद महामंडलेश्वर ने अखाड़ा परिषद द्वारा किन्नरों को मान्यता नहीं देने पर कहाए हम है किन्नर और किन्नर उप देवता की श्रेणी में आते हैं। मानस में जब लिखा है देव दनुज किन्नर नर श्रेणीए सादर मज्जहि सकल त्रिवेणी। तब क्या साधु. महात्मा हमें आज्ञा देंगे।
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि हम सभी सनातन धर्म का पालन करने वाले सनातनी हैं। हम हैं किन्नर। देव, दानव, यक्ष, गर्न्धव, किन्नर अप्सरा एसंत.महात्मा और साधु सभी संत महात्मा.साधुओं में आते हैं। धर्म अखाड़ा परिषद को अधिकार नहीं देता कि किसी सनातनी को अपने धर्म का पालन करने के लिए उनसे प्रमाणपत्र लेना पड़े। कुंभ में किन्नर गांव बसेगा। महामंडलेश्वर ने कहा कि धर्म क्षेत्र में अगर उप देवता को साधुओं की आज्ञा लेकर आना पड़ेए सनातन धर्म के लिए इससे बड़ी लज्जा कोई नहीं होगी। उन्होंने कहा कि उनके समाज का शिखंड़ी नध्न होती तो महाभारत युद्ध जीता ही नहीं जाता तो धर्म स्थापित नहीं होता। उन्होंने कहाए ष्मैं तो धर्म की बातें करूंगी। कटाक्ष श्वो करें, हमें तो बचपन से कटाक्ष सहने की आदत है।
उन्होंने कहा कि चाहे उनकी हत्या ही क्यों न हो जाये लेकिन किन्नर अखाड़ा स्थापित रहेगा और दोबारा प्रयाग में वापस आयेगा। जहां भी सनातन हितों की बात होगी किन्नर अखाड़ा वहां बिना निमंत्रण के भी मौजूद रहेंगे। उन्होंने कहा, परिषद लैंगिकता के आधार पर समाज को उत्प्रेरित कर हमारा बहिष्कार कराने की बात कह सर्वोच्च न्यायालय के 2004 के वरडिक्ट नेशनल लीगल सर्विसेज अथारिटी नाल्सावर्सेज यूनियन आफ इंड़िया का अवहेलना की है। हम उस पर भी कार्यवाही कर सकते हैं। महामंडलेश्वर ने कहा,सवैधािनिक पद पर बैठे मंत्री अधिकारियों को किसी प्रकार उनसे परेशानी नहीं है तो उन्हें क्यों है। जितना अधिकार इस सरजमी पर मर्द और औरत का है उतना ही अधिकार किन्नर का भी है। उन्होंने कहा हम उप देवता है और दिवत्त यात्रा पेशवाई निकालेंगे और अमृत स्नान ;शाही स्नान भी करेंगे। त्रिवेणी सब की है। शाही स्नान तो उनका लकब है हमारे लिए तो अमृत स्नान है।