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किसान मुक्ति यात्रा मे बोले योगेंद्र यादव-मेरे जीवन का महत्वपूर्ण क्षण, जब दलित और किसान एक मंच पर हैं

मेहसाणा, किसान मुक्ति यात्रा के सातवें दिन, मेहसाणा की सभा में बोलते हुए योगेंद्र यादव ने कहा कि यह व्यक्तिगत रूप से मेरे अपने जीवन का एक महत्वपूर्ण क्षण है जबकि दलित और किसान एक साथ एक मंच पर हैं। किसान मुक्ति यात्रा की शुरूआत गुजरात के खेड़ा से चलकर मेहसाणा होते हुए राजस्थान के पावापुर पहुँची।खेड़ा के ऐतिहासिक महत्व को ध्यान में रखते हुए यहाँ जनसभा का आयोजन किया गया।

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 जनसभा को सम्बोधित करते हुए श्वराज अभियान के पूर्व अध्यक्ष योगेंद्र यादव ने कहा कि यह व्यक्तिगत रूप से मेरे अपने जीवन का एक महत्वपूर्ण क्षण है जबकि दलित और किसान एक साथ एक मंच पर हैं। मेरे वैचारिक व राजनितिक गुरु किशन पटनायक का एक सपना था कि इस देश की जो दो बड़ी ऊर्जा है क्या इन्हें कभी एक नहीं किया जा सकता है ? आज  उनका सपना साकार होता दिखाई दे रहा है।

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 उन्होने कहा कि आज हमें कर्नाटक को याद करना चाहिए जब प्रोफेसर नंजुड़स्वामी, डी आर नागराज, देवानूर महादेव ने इन दोनों धाराओं को जोड़ने का प्रयास किया और आज वह समय है जबकि उन्हें याद किया जाना चाहिए।संगठन के रूप में भी कर्नाटक में दलित संघर्ष समिति और कर्णाटक राज्य रैयत संघ भी एक साथ आये थे।शरद जोशी व अम्बेडकर भी एक साथ आये थे।

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गुजरात में दलितों के विरुद्ध हो रहे लगातार अत्याचारों के विरुद्ध आज मेहसाणा में भारी पुलिस बल की मौजूदगी में ‘आज़ादी कूच’ मार्च निकाला गया।इस मार्च का नेतृत्व जिग्नेश मेवाणी,कन्हैया कुमार और रेशमा पटेल ने किया।किसान आंदोलन की तीसरी पीढ़ी और दलित आंदोलन की दूसरी पीढ़ी का आज मेहसाणा में संगम हुआ। आज किसान आंदोलन को दलित आंदोलन का संघर्ष में साथ एक ऐतिहासिक अवसर था।किसान मुक्ति यात्रा के पहुँचने पर कन्हैया कुमार ने किसान क्या चाहे-आज़ादी,दलित भी चाहे आज़ादी,हम सब चाहें आज़ादी के नारे लगाए।ऊना से मंदसौर की लड़ाई एक है के नारे लगातार गूँजते रहे।

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 सभा को सम्बोधित करते हुए अखिल भारतीय किसान संघर्ष समिति के संयोजक वीएम सिंह ने कहा कि जब तक हम अलग-अलग लड़ते रहेंगे तब तक सरकारें हमारा दमन करती रहेंगी लेकिन संगठित संघर्ष से सरकारों को अपनी दमनकारी नीति बदलनी पड़ेगी।सांसद राजू शेट्टी ने कहा कि महाराष्ट्र का किसान आंदोलन साहू जी महाराज, महात्मा फुले और बाबा साहेब की प्रेरणा से आगे बढ़ा है इसीलिए हम आज़ादी कूच को समर्थन देने मेहसाणा पहुँचे हैं।

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 प्रतिभा शिंदे ने कहा कि व्यारा में हजारों आदिवासियों ने किसान मुक्ति यात्रा के साथ जुड़कर आदिवासी खेडूत एकता का शंखनाद किया।डॉक्टर सुनीलम ने कहा कि ऊना मार्च ने देश के दलितों में एक नई ऊर्जा का संचार किया था और अब किसान मुक्ति यात्रा और आज़ादी कूच की एकजुटता से देश पर थोपे है रहे मोदानी मॉडल के ख़िलाफ़ संघर्ष करने वालों की नई एकता देश के स्तर पर दिखलाई पड़ेगी। 

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 मेहसाणा की जनसभा किसान और दलित को एक मंच पर लाने का सांगठनिक प्रयास था और आज के संघर्ष में एक दूसरे के साथ खड़े होने का ये शायद पहला महत्वपूर्ण मौका है। किसान मुक्ति यात्रा में हर दिन एक किसान नेता को समर्पित किया जाएगा। जहाँ कल का दिन महान किसान नेता बिरसा मुंडा और सरदार पटेल को समर्पित किया गया था वहीं आज का दिन किशन पटनायक को समर्पित किया गया है।

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किशन पटनायक एक ऐसे नेता थे जिन्होंने हमेशा समाज के कमजोर वर्ग दलित,वंचित और किसान के हित केलिए आवाज उठाई।उन्होंने देश भर के किसान आंदोलनों को एक मंच पर लाने का प्रयास किया। किसान मुक्ति यात्रा मे किसान नेता रामपाल जाट,अविक साहा, के चंद्रशेखर, कविता कुरुगंती,गोरा सिंह,रुलदू सिंह,लिंगराज और विमलनाथन सहित 15 राज्यों के 150 यात्री शामिल रहे।

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 किसान मुक्ति यात्रा मध्यप्रदेश के मंदसौर से शुरू होकर 6 राज्यों से होती हुई 18 जुलाई को दिल्ली के जंतर-मंतर पहुँचेगी। इस यात्रा के साथ हज़ारों की संख्या में किसान जंतर-मंतर पहुँचेंगे।