केले की वैज्ञानिक खेती से बदलती किसानों की तस्वीर

देवरिया, खेती-किसानी में वैज्ञानिक तरीकों का इस्तेमाल किसानों की जिंदगी में बड़ा बदलाव ला सकता है इसका जीता-जागता उदाहरण उत्तर प्रदेश में देवरिया जिले के सलेमपुर तहसील के ग्राम रामपुर बुजुर्ग के किसान नागेंद्र प्रताप राव हैं।

किसान नागेंद्र प्रताप राव ने 1.8 हेक्टेयर भूमि पर ग्रैंड-9 प्रजाति के 5600 पौधे लगाकर न केवल अपनी आमदनी में इजाफा करने की राह खोली है, बल्कि दूसरों के लिए भी प्रेरणा बन रहे हैं। इस वर्ष उन्हें केले की खेती से आठ से दस लाख रुपये तक आय होने की संभावना है।

श्री राव ने बताया कि केले की खेती के लिए उन्हें जिला उद्यान विभाग से प्रति हेक्टेयर 30,447 रूपये का अनुदान प्राप्त हुआ। इसके अलावा उन्होंने अपनी खेती को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए ड्रिप सिंचाई प्रणाली स्थापित की, जिस पर लगभग 1.5 लाख रूपये की लागत आई। इस लागत पर उन्हें विभाग द्वारा 80 प्रतिशत तक अनुदान दिया गया।

उन्होंने बताया कि ड्रिप सिंचाई प्रणाली ने उनकी खेती में क्रांतिकारी बदलाव लाए। इस तकनीक से पौधों की बढ़वार बेहतर हुई, खाद और उर्वरकों की खपत में कमी आई, जिससे उत्पादन लागत में कमी हुई। खरपतवार कम होने से निराई की जरूरत घटी, जिससे समय और श्रम की बचत हुई। उन्होंने बताया कि इस प्रणाली ने उनकी खेती को लाभकारी बनाया और उत्पादन की गुणवत्ता में भी सुधार हुआ।

वहीं आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि जिला उद्यान विभाग की ओर से केले की खेती को प्रोत्साहित करने के लिए जिले में कुल 22 किसानों को 30 हेक्टेयर भूमि पर अनुदान प्रदान किया गया है। विभाग का मानना है कि वैज्ञानिक तकनीकों का उपयोग कर किसान प्रति बीघा 1 से 1.5 लाख रूपये तक की आय अर्जित कर सकते हैं। इसके अलावा, केले की खेती के साथ अदरक, लहसुन, प्याज, टमाटर और अन्य सब्जियों की इंटरक्रॉपिंग से लाभ को कई गुना बढ़ाया जा सकता है।

जिला उद्यान अधिकारी राम सिंह यादव ने किसानों से अनुरोध किया है कि वे उन्नत किस्मों और आधुनिक तकनीकों का उपयोग कर खेती को अधिक लाभकारी बनाएं। उनका कहना है कि यदि सही तरीके से खेती की जाए, तो किसान न केवल अपनी आय बढ़ा सकते हैं, बल्कि खेती में आने वाली लागत को भी कम कर सकते हैं।

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