नई दिल्ली, नियंत्रक व महालेखा परीक्षक ने सुप्रीम कोर्ट में पेश की गई रिपोर्ट में माना है कि इटावा के चौधरी चरण सिंह कॉलेज को गलत तरीके से 35 करोड़ रुपये जारी किए गए थे। पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के कार्यकाल के दौरान 2002 में यह मामला कैग के संज्ञान में आया था। चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाली बेंच ने यह फैसला किया कि चार सप्ताह बाद इस मामले की सुनवाई दूसरी बेंच करेगी। इसके अन्य सदस्यों में जस्टिस डीवाई चंद्रचूड व एल नागेश्वरा राव शामिल हैं। चीफ जस्टिस की बेंच महेंद्रनाथ की अपील पर सुनवाई कर रही है। उन्होंने इलाहाबाद हाई कोर्ट के समक्ष पहले याचिका दायर की थी लेकिन 2004 में यह खारिज हो गई थी। उसके बाद वह सुप्रीम कोर्ट के पहुंचे। उनका आरोप है कि 2002-2003 में पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की जन्म शताब्दी समारोह के लिए इटावा के कॉलेज को 100 करोड़ रुपये जारी किए गए थे।
सुप्रीम कोर्ट ने मुलायम सिंह यादव से जवाब तलब करने के साथ ही केंद्र सरकार से पूछा था कि क्या कैग को ऑडिट के दौरान फंड जारी करने में अनियमितता मिली थी। कॉलेज को शिक्षा प्रसार समिति सोसायटी के तहत चलाया जा रहा है। इसके बोर्ड में शिवपाल यादव व रामगोपाल यादव शामिल हैं। सुप्रीम कोर्ट ने सोसायटी से उसके इनकम टैक्स रिटर्न के साथ अन्य दस्तावेज मांगे हैं। दो मार्च को सुनवाई के दौरान बेंच ने इस बात पर एतराज जताया था कि 2005 में नोटिस जारी होने के बाद भी मुलायम सिंह समेत कई अन्य लोगों ने जवाब दाखिल नहीं किया। याचिका में आरोप है कि जन्म शताब्दी समारोह के लिए जारी रकम से कॉलेज में भवन निर्माण कराया गया। राज्य सरकार ने सारा पैसा उप्र राजकीय निर्माण निगम के जरिए जारी कराया था। कैग ने फंड में भारी अनियमितता की बात कही है।