देहरादून, योगगुरु बाबा रामदेव उत्तराखण्ड सरकार को गिरा रहे हैं।उत्तराखंड में गहराते राजनीतिक संकट के बीच कांग्रेस ने यह आरोप लगाया है। योगगुरु सीएम हरीश रावत के खिलाफ बगावत भड़काने की साजिश में शामिल हैं। इस साजिश में वे बीजेपी प्रेसिडेंट अमित शाह का साथ दे रहे हैं। जबकि, योगगुरु ने आरोपों से इनकार किया है। यह आरोप बाबा पर उत्तराखंड कांग्रेस के प्रेसिडेंट किशोर उपाध्याय ने लगाये हैं। कांग्रेस नेता ने कहा कि योगगुरु और बीजेपी चीफ अमित शाह ने सरकार को अस्थिर करने की साजिश रची है। ये दोनों ही सीएम हरीश रावत के खिलाफ कांग्रेस विधायकों की बगावत को भड़का रहे हैं। हमारे पास इस बात के सबूत हैं कि रामदेव कांग्रेस के बागियों के संपर्क में थे। रामदेव ने बगावत भड़काने में बीजेपी के एजेंट की तरह काम किया है।”
किशोर उपाध्याय ने कहा कि इन्हीं लोगों ने बागी कांग्रेस विधायकों के दिल्ली में रुकने के इंतजाम किए। रामदेव 18 मार्च से पहले से कांग्रेस के 9 एमएलए से बात कर रहे थे।
हरीश रावत सरकार को 28 मार्च तक विधानसभा में बहुमत साबित करना है। 18 मार्च को ही उत्तराखंड विधानसभा में बजट पास होना था। लेकिन विपक्ष के साथ कांग्रेस के बागी विधायकों ने वोटिंग की डिमांड की। इसे स्पीकर ने खारिज कर दिया।
कांग्रेस के आरोप का जवाब देते हुये बाबा रामदेव ने कहा है कि मुझे जबरन इस मामले में घसीटा जा रहा है। जबकि मैंने अपने सपने में भी कांग्रेस एमएलए या पार्टी वर्कर से बात नहीं की है। यदि मुझे कुछ कहना और करना होता है, तो मैं सामने करता हूं। पर्दे के पीछे नहीं करता।
सूत्रों का कहना है कि बगावत के पीछे विजय बहुगुणा का रोल अहम हैं। बहुगुणा, रावत को सीएम बनाने को लेकर कई बार खुलकर अपनी नाराजगी जता चुके हैं। वे पार्टी में बड़ी जिम्मेदारी की मांग करते आ रहे थे, हरीश रावत खेमा उन्हें जिम्मेदारी देने के विरोध में था।बागी विधायकों को कांग्रेस के पूर्व सीएम विजय बहुगुणा लीड कर रहे हैं, इनमें हरक सिंह रावत, यशपाल आर्य, अमृता रावत, प्रतीप बत्रा और अंबिका रावत शामिल हैं। पार्टी के खिलाफ काम करने के आरोप में कांग्रेस के साकेत बहुगुणा और जनरल सेक्रेटरी अनिल गुप्ता को 6 साल के बाहर कर दिया गया है। साकेत पूर्व सीएम विजय बहुगुणा के बेटे हैं। कांग्रेस ने साकेत को बगावत का मास्टरमाइंड बताया है।
70 सीटों वाली उत्तराखंड असेंबली में कांग्रेस के 36, बीजेपी के 28, निर्दलीय 3, बीएसपी के 2 और यूकेडी का 1 विधायक है। कांग्रेस से 9 विधायक बागी हैं। इससे कांग्रेस के पास 27 विधायक रह जाते हैं। उसे पीडीएफ के 6 मेंबर्स का सपोर्ट हासिल है। अगर स्पीकर कांग्रेस के नौ बागियों को दल-बदल कानून के तहत अयोग्य करार देते हैं तो विधानसभा 61 सीटों की रह जाएगी। तब बहुमत के लिए 31 की जरूरत होगी। ऐसे में रावत कांग्रेस के 27 और पीडीएफ के 6 मेंबर्स के बूते सरकार बचा सकते हैं।
किशोर उपाध्याय ने कहा कि इन्हीं लोगों ने बागी कांग्रेस विधायकों के दिल्ली में रुकने के इंतजाम किए। रामदेव 18 मार्च से पहले से कांग्रेस के 9 एमएलए से बात कर रहे थे।
हरीश रावत सरकार को 28 मार्च तक विधानसभा में बहुमत साबित करना है। 18 मार्च को ही उत्तराखंड विधानसभा में बजट पास होना था। लेकिन विपक्ष के साथ कांग्रेस के बागी विधायकों ने वोटिंग की डिमांड की। इसे स्पीकर ने खारिज कर दिया।
कांग्रेस के आरोप का जवाब देते हुये बाबा रामदेव ने कहा है कि मुझे जबरन इस मामले में घसीटा जा रहा है। जबकि मैंने अपने सपने में भी कांग्रेस एमएलए या पार्टी वर्कर से बात नहीं की है। यदि मुझे कुछ कहना और करना होता है, तो मैं सामने करता हूं। पर्दे के पीछे नहीं करता।
सूत्रों का कहना है कि बगावत के पीछे विजय बहुगुणा का रोल अहम हैं। बहुगुणा, रावत को सीएम बनाने को लेकर कई बार खुलकर अपनी नाराजगी जता चुके हैं। वे पार्टी में बड़ी जिम्मेदारी की मांग करते आ रहे थे, हरीश रावत खेमा उन्हें जिम्मेदारी देने के विरोध में था।बागी विधायकों को कांग्रेस के पूर्व सीएम विजय बहुगुणा लीड कर रहे हैं, इनमें हरक सिंह रावत, यशपाल आर्य, अमृता रावत, प्रतीप बत्रा और अंबिका रावत शामिल हैं। पार्टी के खिलाफ काम करने के आरोप में कांग्रेस के साकेत बहुगुणा और जनरल सेक्रेटरी अनिल गुप्ता को 6 साल के बाहर कर दिया गया है। साकेत पूर्व सीएम विजय बहुगुणा के बेटे हैं। कांग्रेस ने साकेत को बगावत का मास्टरमाइंड बताया है।
70 सीटों वाली उत्तराखंड असेंबली में कांग्रेस के 36, बीजेपी के 28, निर्दलीय 3, बीएसपी के 2 और यूकेडी का 1 विधायक है। कांग्रेस से 9 विधायक बागी हैं। इससे कांग्रेस के पास 27 विधायक रह जाते हैं। उसे पीडीएफ के 6 मेंबर्स का सपोर्ट हासिल है। अगर स्पीकर कांग्रेस के नौ बागियों को दल-बदल कानून के तहत अयोग्य करार देते हैं तो विधानसभा 61 सीटों की रह जाएगी। तब बहुमत के लिए 31 की जरूरत होगी। ऐसे में रावत कांग्रेस के 27 और पीडीएफ के 6 मेंबर्स के बूते सरकार बचा सकते हैं।