लखनऊ , समाजवादी पार्टी में मची उथल पुथल के बीच पिता मुलायम सिंह यादव और पुत्र एवं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के बीच सुलह समझौते के प्रयास शुरू हो गये हैं। मुलायम सिंह यादव और श्री अखिलेश यादव के बीच पहली बैठक बेनतीजा निकलने के बावजूद पिता- पुत्र के बीच समझौते के प्रयास जारी हैं।
मुलायम सिंह यादव और श्री अखिलेश यादव के बीच तीन घंटे से ज्यादा समय तक चली बातचीत किसी निष्कर्ष पर पहुंचे बिना खत्म हो गयी। समझा जाता है कि अपनी अपनी दलील पर अडे रहने के कारण यह बातचीत निरर्थक साबित हुयी। नयी दिल्ली से मुलायम के लौटने के बाद करीब 12़ 30 बजे अखिलेश अपने पिता के विक्रमादित्य मार्ग स्थित आवास पहुंचे। बाद में करीब तीन बजे श्री शिवपाल सिंह यादव ने भी बातचीत में हिस्सा लिया।
अखिलेश करीब साढे तीन बजे बैठक से बाहर आये मगर इस बारे में उन्होंने पत्रकारों से बात करने से इंकार कर दिया। मुख्यमंत्री इसके बाद पिता के घर से सटे अपने घर गये और करीब पांच मिनट गुजारने के बाद वहां से निकल कर पांच कालीदास मार्ग स्थित अपने सरकारी आवास चले गये।
लखनऊ में बैठक की समाप्ति के बाद हालांकि प्रो0 रामगोपाल यादव ने दिल्ली में पत्रकारों से कहा कि सपा में अब कोई समझौता नहीं होगा और अखिलेश यादव के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश में होने वाला राज्य विधानसभा चुनाव लडा जायेगा। प्रो0 यादव ने कहा कि चुनाव आयोग पार्टी के चुनाव निशान साइकिल पर फैसला करेगा मगर इस मुकाम पर पार्टी में सुलह समझौते की कोई गुजांइश नहीं है।
इस बीच पार्टी सूत्रों ने बताया कि सपा के एक वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद ने अखिलेश से आज सुबह मुलाकात की और उनसे खतरे में पडे पार्टी के चुनाव चिन्ह की दुहाई देते हुये जल्द उपाय करने की गुहार की। उन्होंने कहा कि पार्टी का चुनाव चिन्ह अगर जब्त होता है तो यह पार्टी के लिये सही नहीं होगा।
सूत्रों के अनुसार अखिलेश दो बातों पर कायम है जिनमें खुद को मुख्यमंत्री चेहरा घोषित करने और टिकटों के चयन में उनकी सहमति शामिल हो। दूसरी ओर मुलायम ने बिना सहमति के राष्ट्रीय प्रतिनिधि सम्मेलन बुलाये जाने के प्रति नाराजगी व्यक्त की। अखिलेश के प्रस्ताव को उन्होंने ध्यान से सुना मगर कोई सहमति नहीं दी।
नये साल में श्री मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव के बीच यह पहली मुलाकात थी। मुलायम कल दिल्ली में चुनाव आयुक्त से मिले थे और अपना पक्ष रखा था। उन्होंने अखिलेश को सपा के अध्यक्ष घोषित करने को अवैध बताया था।
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के गुरू की भूमिका निभा रहे उनके चाचा प्रो0 रामगोपाल यादव ने भी चुनाव आयुक्त से मिलकर अपना पक्ष रखा था। उन्होंने आयोग से मांग की थी कि साइकिल चुनाव चिन्ह अखिलेश खेमे वाली सपा को दिया जाये। इस मामले में अब फैसला चुनाव आयोग को लेना है।