लखनऊ, सपा में नाम और निशान पर मुलायम सिंह और अखिलेश धड़े में जारी जंग पर जल्द ही पूर्ण विराम नही लगने वाला है। चुनाव आयोग ने दोनों गुटों के दावों को सुनने के बाद आज अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया है। सूत्रों के अनुसार, आयोग अब १७ जनवरी तक अपना अंतिम निर्णय सुना सकता है।
आज करीब 11 बजे सुनवाई शुरू हुई। पहले दौर की सुनवाई पूरी होने के बाद, 3 बजे दूसरी दौर की सुनवाई शुरू हुई है। सुनवाई के लिए मुलायम सिंह यादव और शिवपाल यादव चुनाव आयोग के दफ्तर पहुंचे साथ मे वरिष्ठ अधिवक्ता भी थे। अखिलेश यादव गुट की तरफ से रामगोपाल यादव, किरनमय नंद और नरेश अग्रवाल आयोग पहुंचे हैं, साथ मे वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल भी थे।सूत्रों के मुताबिक दोनों पक्षों के बीच सिंबल के मसले पर वहां तकरार हुई। आयोग के बाहर मुलायम समर्थक उनके पक्ष में नारे लगा रहे थे।
इससे पहले मुलायम सिंह यादव ने अपने पक्ष में आयोग को मुख्य रूप से तीन दस्तावेज दिए हैं-
1. समाजवादी पार्टी का संविधान।
2. रामगोपाल यादव की बर्खास्तगी की चिट्ठी।
3. एक पत्र जिसमें कहा गया है कि रामगोपाल ने जो सम्मेलन बुलाया वह असंवैधानिक है।
दूसरे पक्ष के याचिकाकर्ता रामगोपाल यादव (अखिलेश यादव के खेमे से) ने आयोग से कहा है कि सम्मेलन बुलाने के लिए उन्हें अधिकृत किया गया था। 55 प्रतिशत सदस्यों ने सम्मेलन के लिए सहमति दी थी जबकि संविधान के मुताबिक 40 प्रतिशत से अधिक सदस्य लिखित में दें तो पार्टी संविधान के हिसाब से आपात अधिवेशन बुलाया जा सकता है। साथ ही रामगोपाल यादव ने 200 से अधिक विधायकों और 15 से अधिक सांसदों के समर्थन की चिट्ठी भी दी है। चुनाव आयोग ने दोनों गुटों के दावों को सुना। लेकिन उसने अपना निर्णय न सुनाकर, निर्णय सुरक्षित रख लिया है। सूत्रों के अनुसार, १७ जनवरी तक चुनाव आयोग अपना निर्णय दे सकता है। फिलहाल तब तक दोनों गुटों को इंतजार करना होगा ।