नई दिल्ली, पिछड़े वर्ग के गरीब छात्रों को छात्रवृत्ति देकर सरकार वास्तव मे उनका मजाक उड़ा रही है. संसद की एक समिति ने भी इस बात पर हैरानी जतायी है कि अन्य पिछड़ा वर्ग के निर्धनतम बच्चों को शिक्षा के लिए प्रोत्साहित करने के वास्ते प्रति माह सिर्फ 25 से 50 रुपए तक की छात्रवृत्ति दी जा रही है। सामाजिक न्याय एवं आधिकारिता मंत्रालय की स्थायी समिति ने संसद में हाल मे पेश अपनी एक रिपोर्ट में पाया कि इस वर्ग के पहली से पांचवी कक्षा तक के बच्चों को 25 रुपए, छठीं से आठवी तक को 40 रुपए तथा नौंवी से दसवीं कक्षा तक के बच्चों को 50 रुपए की छात्रवृत्ति दी जाती है।
समिति का कहना था कि इन बच्चों के पढ़ाई बीच में ही छोड़ देने की समस्या को दूर करने के लिए प्रोत्साहन के तौर पर दी जाने वाली यह राशि बहुत कम है। समिति की 36वीं रिपोर्ट मे इस बात पर निराशा जतायी गई है कि उसकी पहले की सिफारिशों के बावजूद विभाग ने छात्रवृत्ति की रकम बढ़ाने के लिए कोई कदम नहीं उठाया। दरअसल 1998-99 में यह योजना शुरू होने के बाद से आज तक छात्रवृत्ति की दर की समीक्षा नहीं की गई। समिति ने इस मद में बजटीय आवंटन बढ़ाने के लिए वित्त मंत्रालय के समक्ष तत्काल यह मामला उठाने की सिफारिश की है। रिपोर्ट में इस बात पर भी अफसोस जताया गया है कि छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश में पिछले तीन वर्षो में किसी भी बच्चे को यह छात्रवृत्ति नहीं मिली। समिति ने विभाग से इसका कारण बताने को कहा है। साथ ही सुधारात्मक कदम उठाने की सिफारिश की है।