छात्रों के बीच से मोदी-मैजिक समाप्त, यूपी मे अखिलेश का जादू सर चढ़ा, 10 मे से 9 यूनिवर्सिटी मे भाजपा हारी
October 30, 2017
नई दिल्ली, पिछले कुछ महीनों से देश के विश्वविद्यालयों मे छात्रसंघ चुनावों का दौर चल रहा है। इस बीच देश के शीर्ष विश्वविद्यालयों मे छात्रसंघ चुनाव संपन्न हुये। न्यूज85.इन की टीम ने इस पर एक रिपोर्ट तैयार की है। न्यूज85.इन की टीम की रिपोर्ट के अनुसार, देश के विश्वविद्यालयों मे छात्रसंघ चुनावों के परिणामों पर गौर करें तो दो महत्वपूर्ण बातें सामने आ रही है।
पहली खास बात है कि छात्रों और युवाओं मे पूरे देश मे भगवा रंग कमजोर पड़ रहा है और दूसरी कि यूपी मे समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव का जादू छात्रों और युवाओं के सर चढ़कर बोल रहा है। देश की सात राज्यों मे स्थित दस टाप यूनिवर्सिटी मे नौ पर भाजपा बुरी तरह हारी है। इसका सीधा सा अर्थ है कि देश भर मे छात्रों और युवाओं के बीच भाजपा और आरएसएस की लोकप्रियता मे कमी आयी है यानि कि युवाओं के बीच से मोदी मैजिक समाप्त हो रहा है।
वहीं यूपी मे, इलाहाबाद विश्वविद्यालय सहित प्रदेश के लगभग एक दर्जन बड़े कालेजों मे समाजवादी पार्टी की छात्र इकाई समाजवादी छात्र सभा ने अपनी जीत का परचम लहराया है जो यह दर्शाता है कि यूपी मे छात्रों और युवाओं के बीच अखिलेश यादव की लोकप्रियता सबसे अधिक है। युवाओं मे अखिलेश यादव को लेकर क्रेज बढ़ रहा है।
देश की राजधानी दिल्ली से शुरू करें तो दिल्ली की एतिहासिक यूनिवर्सिटी जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी के छात्रसंघ चुनाव से बीजेपी की छात्र इकाई एबीवीपी की हार की शुरूआत होती है। जेएनयू मे बीजेपी की छात्र इकाई एबीवीपी हारी और वामपंथी चुनाव जीते।
इसके बाद दिल्ली की ही एक और बड़ी यूनिवर्सिटी, दिल्ली यूनिवर्सिटी से भी बीजेपी का सफाया हो गया। यहां पर बीजेपी की छात्र इकाई एबीवीपी को NSUI ने मात दी, कांग्रेस की छात्र इकाई NSUI ने बाजी मारी।
भाजपा शासित राज्य राजस्थान भी छात्रसंघ चुनाव मे बीजेपी की हार को रोक नही पाया। राजस्थान यूनिवर्सिटी के छात्रसंघ चुनाव मे निर्दलीय ने बाजी मारी और यहां भी बीजेपी हारी। निर्दलीय पवन यादव राजस्थान यूनिवर्सिटी छात्रसंघ के अध्यक्ष चुने गये।
पंजाब यूनिवर्सिटी के छात्र संघ चुनावों में चार में से तीन पदों पर कांग्रेस के छात्र संगठन एनएसयूआइ ने कब्जा जमाया। इन पदों में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष व सचिव का पद शामिल है। भाजपा की एबीवीपी चुनावों में खाता भी नहीं खोल पायी।
भाजपा शासित एक और राज्य असम मे भी बीजेपी को छात्रों ने नकार दिया। असम की गुवाहाटी यूनिवर्सिटी के छात्र संघ चुनावों में आल असम स्टूडेंट यूनियन ने बाजी मारी। यहां भी भाजपा की एबीवीपी का प्रदर्शन निराशाजनक रहा।
हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी मे तो बीजेपी की छात्र इकाई एबीवीपी का तो सूपड़ा ही साफ हो गया। वामपंथी छात्र इकाई एसएफआई और अंबेडकर स्टूडेंट एसोसिएशन के गठजोड़ एलायंस फार सोशल जस्टिस ने सभी सीटें जीतकर सामाजिक न्याय का अनोखा उदाहरण प्रस्तुत किया। रोहित वेमुला कांड ने यहां बड़ा असर डाला।
उत्तराखंड में छात्र राजनीति के सबसे बड़े केंद्र हेमवती नंदन बहुगुणा केंद्रीय गढ़वाल विश्वविद्यालय में ABVP को गैर राजनीतिक संगठन जय हाउस ने हराया। यहां छात्रसंघ में हार जीत का असर पूरे प्रदेश में पड़ता है। बता कि हेमवती नंदन बहुगुणा केंद्रीय गढ़वाल विश्वविद्यालय के तहत 45 महाविद्यालय हैं। प्रदेश के ही गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय में भी ABVP को हार का सामना करना पड़ा। इस बार के चुनाव में निर्दलियों का दबदबा रहा।
यूपी मे, बीजेपी की छात्र इकाई एबीवीपी का हार का दौर जारी रहा. इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्र संघ चुनाव में एबीवीपी को तगड़ी शिकस्त मिली. चुनाव में समाजवादी छात्रसभा के अवनीश यादव अध्यक्ष, चंद्रशेखर चौधरी, उपाध्यक्ष, भरत सिंह उपमंत्री, अवधेश पटेल सांस्कृतिक मंत्री भारी मतों से जीते। एबीवीपी बामुश्किल मात्र महासचिव पद हथिया पायी।
केवल आगरा विश्वविद्यालय का छात्रसंघ चुनाव अपवाद रहा। यहां 5 सीटों में से 4 पर एबीवीपी ने कब्जा जमा लिया। जबकि पिछले चुनाव में यहां ABVP को एक भी सीट नहीं मिली थी, 2 सीटों पर समाजवादी छात्र सभा और एक सीट एनएसयूआई को मिली थी।
इन सूचनाओं के विश्लेषण मे कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आयें हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि छात्रों के बीच से मोदी-मैजिक समाप्त हो गया है। छात्रों मे अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा और आरएसएस का आकर्षण समाप्त हो रहा है।
राजनैतिक दलों के लिये सबसे महत्वपूर्ण बात है कि युवा जो देश की जनसंख्या मे सर्वाधिक है, वह बदलाव के मूड मे है। पूरे देश मे उसने भाजपा को नकारा है और जहां पर उसे जो भाजपा से लड़ता नजर आया उसे जिताया है। इसीलिये दस यूनिवर्सिटी मे नौ पर हारने वाली तो भाजपा रही पर जीतने वाला दल एक न होकर अलग-अलग रहे।
यूपी जहां से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सांसद हैं और सात माह पूर्व ही विधान सभा चुनाव मे जहां बीजेपी ने एतिहासिक जीत दर्ज की है वहां पर छात्रों के बीच से मोदी-मैजिक समाप्त हो गया है। अखिलेश यादव की लोकप्रियता युवाओं के बीच सिर चढ़ कर बोल रही है। नये वोटर का झुकाव अखिलेश यादव की ओर बढ़ा है।
देश के विभिन्न क्षेत्रों मे स्थित दस टाप यूनिवर्सिटी मे नौ पर भाजपा की बुरी तरह से शिकस्त सामान्य बात नही है। यह देश मे युवाओं के बदलते हुये मूड का संकेत है। लोकसभा 2019 के चुनाव को देखते हुये यह भाजपा के लिये बड़े खतरनाक संकेत हैं। कांग्रेस और वामपंथी दल फिर से अपने ‘अच्छे दिनों’ की ओर कदम बढ़ाते दिख रहे है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में बढ़ रही बीजेपी के लिए यह एक वेक-अप कॉल है।