
जिले के ओरन कस्बे में विश्व जल दिवस के उपलक्ष में आयोजित जल एवं पर्यावरण गोष्ठी को संबोधित करते हुये उन्होंने कहा कि जल संरक्षण को गंभीरता से लेकर इसे जन आंदोलन बनाना चाहिए। हर खेत में मेड़ और मेड़ पर पेड़ लगाने से जल संरक्षण में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि जल ही जीवन है और विश्व जल दिवस जल के अमूल्य महत्व की याद दिलाता है। गंगा , यमुना , गोदावरी आदि नदिया हमारे पूर्वजों की धरोहर है। जिन्हें हमारे पूर्वजों द्वारा जल के महत्व को देखते हुए नदियों , तालाबों और पोखरों में जल संरक्षण कर उन्हें सुरक्षित रखा गया।
उन्होंने कहा कि भू जल स्तर के निरंतर घटने को रोकने और आगामी जल संकट से बचने के लिये जन सहभागिता की आवश्यकता है। नदियों , तालाबों और पोखरों में वर्षा का जल संचयन आवश्यक हो गया है। बच्चों व युवकों को जल संरक्षण के महत्व को समझाएं। जिससे जल का अनावश्यक दोहन न हो और न ही उसकी बर्बादी। इसे सभी को मिलकर रोकना होगा।
श्री सिंह ने कहा कि सरकार ने जल के क्षेत्र में अनेकों महत्वपूर्ण योजनाएं शुरू की। केंद्र व प्रदेश सरकार ने जल जीवन मिशन के अंतर्गत हर घर नल जल योजना शुरू की। जल संकट देखते हुए बांदा जिले में 2 लाख 68 हजार घरों सहित प्रदेश के 2 करोड़ 37 लाख घरों में नल के कनेक्शन देकर जलापूर्ति शुरू की गई। केन- बेतवा लिंक परियोजना से दो लाख 51 हजार हेक्टेयर में सिंचाई की सुविधा उपलब्ध होगी।
उन्होंने 58 करोड़ 59 लाख रुपए की 35 विभागीय परियोजनाओं का लोकार्पण व शिलान्यास भी किया। इस अवसर पर जल शक्ति राज्य मंत्री रामकेश निषाद ने कहा कि जल के बिना जीना असंभव है। सभी को एक जुट होकर जल संरक्षण का कार्य करना होगा। बुंदेलखंड में खनिज संपदा है। लेकिन जल की कमी सदैव बनी रहती है। इसलिए केंद्र सरकार ने 45 हजार करोड़ रुपए की लागत की केन- बेतवा लिंक परियोजना शुरू की। जो वरदान साबित होगी।
पद्मश्री उमाशंकर पांडे ने सचेत किया कि भूगर्भ का जल निरंतर घट रहा है और जनसंख्या निरंतर बढ़ रही है। आगे जल की भीषण किल्लत होगी। जन संरक्षण के कार्य सामूहिक रूप से कर इसे जन आंदोलन बनाना होगा। इसके लिए उन्होंने पाठशालाओं का आयोजन कर जन-जन को जागरूक करने की बात भी की।
जल शक्ति मंत्री ने जल संरक्षण एवं जल संचयन के क्षेत्र में अच्छा कार्य करने वाले ग्राम प्रधानों समेत कई लोगों को स्मृति चिन्ह व प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया।