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जांच रिपोर्ट ने केंद्रीय मंत्रियों को दी क्लीन चिट, ‘रोहित वेमुला’ को बताया गैर दलित…

नई दिल्ली, हैदराबाद यूर्निवर्सिटी के हॉस्टल में आत्महत्या करने वाले छात्र ‘रोहित वेमुला’ मामले में जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट सार्वजनिक कर दी है. यह रिपोर्ट मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा बनाए गए न्यायिक आयोग ने दी है.

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सूत्रों के अनुसार, इलाहाबाद हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश एके रूपनवाल की अध्यक्षता में बनी समिति की रिपोर्ट 15 अगस्त को सार्वजनिक कर दी गई. मानव संसाधन मंत्रालय द्वारा गठित इस न्यायिक आयोग की अध्यक्षता कर रहे इलाहाबाद हाईकोर्ट के पूर्व न्यायधीश ने कहा, ‘रोहित वेमुला ने अपने सुसाइड नोट में निजी कारणों से परेशान होने की बात कही है. साथ ही वह अपनी जिंदगी से नाखुश भी था.’ उसने किसी को भी अपनी मौत के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया है. रोहित की आत्महत्या में विश्वविद्यालय की भूमिका को लेकर रिपोर्ट में कहा गया है, अगर रोहित ने विश्वविद्यालय के फैसले से नाराज़ होकर आत्महत्या की होती तो अपने सुसाइड नोट में साफ शब्दों में इस बात का उल्लेख करते. 

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रोहित और उसके साथियों पर की गई कार्रवाई पर रिपोर्ट कहती है कि कार्यकारी परिषद द्वारा लिया गया फैसला उस समय के हिसाब से उचित था. परिषद का काम है कि वो छात्रों का ध्यान सिर्फ पढ़ाई पर केंद्रित हो, इस पर ध्यान दें. हैदराबाद विश्वविद्यालय की कार्यकारी परिषद ने नवंबर 2015 में पांच छात्रों को हॉस्टल से निलंबित कर दिया था, जिनके बारे में कहा गया था कि ये सभी दलित समुदाय से थे. 17 जनवरी 2017 को निलंबित छात्र रोहित वेमुला ने हॉस्टल के एक कमरे में आत्महत्या कर ली थी.

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 रिपोर्ट में कहा गया कि तत्कालीन केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी, केंद्रीय श्रम मंत्री बंडारू दत्तात्रेय और भाजपा के विधान परिषद सदस्य रामचंद्र राव, जन प्रतिनिधि होने के नाते अपने कर्तव्यों का पालन कर रहे थे और उन्होंने विश्वविद्यालय प्रशासन को छात्रों के ख़िलाफ़ कार्रवाई के लिए किसी तरह से प्रभावित नहीं किया. रिपोर्ट में घटना के लिए इन तीनों नेताओं को ज़िम्मेदार नहीं माना गया है. जबकि रोहित वेमुला की मौत के बाद माना जा रहा था भाजपा नेताओं द्वारा शिकायत के बाद ही रोहित के ख़िलाफ़ अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई थी, जिसके कारण रोहित ने आत्महत्या की.

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रोहित वेमुला की जाति को लेकर रिपोर्ट में बताया गया है कि वे दलित समुदाय से नहीं थे. रिपोर्ट के अनुसार रोहित वेमुला की मां वडेरा समुदाय से आती हैं, जो अन्य पिछड़ा वर्ग में शामिल है. इसलिए वेमुला को जारी अनुसूचित जाति प्रमाण पत्र को सही नहीं कहा जा सकता है. वह अनुसूचित जाति से नहीं आते थे लेकिन किसी तरह से उनकी मां को मिले अनुसूचित जाति प्रमाण पत्र की वजह से वह इस बात का दावा करते थे कि वे दलित हैं.

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