चंडीगढ़, आज सरकार और जाट आरक्षण संघर्ष समिति के पदाधिकारी आमने-सामने नजर आएंगे। सरकार की ओर से सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध किए गए हैं।धरना देने वाले जाट समुदाय के लोग किसी भी तरह से कानून हाथ में न लें, इसके प्रयास किये गये हैं।पिछले साल हुए हिंसा में रोहतक, सोनीपत, झज्जर सबसे ज़्यादा प्रभावित हुआ था और राज्यभर में 30 लोगों की मौत हुई थी.
जाट आरक्षण की मांग को लेकर जाट संगठन एक बार फिर आज से आंदोलन करने वाले हैं. जाट नेता यशपाल मलिक की अगुवाई में आज राज्य के 19 जिलों में धरने का आयोजन किया गया है. समिति पिछले साल हुए आंदोलन के दौरान दर्ज केस वापस लिए जाने और बंद आंदोलनकारियों को रिहा करने की भी मांग कर रही है. वहीं जाट आरक्षण संघर्ष समिति के प्रमुख जय सिंह फौजी ने आरक्षण आंदोलन के ताजा आह्वान से पहले नरवाना में समुदाय के नेताओं के साथ बैठक की. उन्होंने बैठक के बाद कहा, हम अपना आंदोलन तब तक जारी रखेंगे जब तक सरकार हमें आरक्षण समझौते के बारे में लिखित में कोई आश्वासन नहीं दे देती.
सुरक्षा के मद्देनज़र रोहतक, सोनीपत, झज्जर ज़िले के कई हिस्सों ख़ासकर हाइवे पर धारा 144 लगा दी गई है. 5 या उससे ज़्यादा लोगों के एक साथ इकट्ठा होने पर भी रोक है. आंदोलन को देखते हुए राज्य सरकार ने केंद्र सरकार से पारामिलिट्री फ़ोर्स की 55 कंपनियों की मांग की है. पूरे राज्य में होम गार्ड के 7000 जवानों की तैनाती कर दी गई है.