लखनऊ, सूबे की सत्ता संभालने के 16 दिन बाद योगी आदित्यनाथ सरकार ने पहली कैबिनेट मीटिंग में कई अहम निर्णय लिए। ये निर्णय पार्टी के चुनावी वादे यानी संकल्प पत्र के आधार पर किए गए हैं। इनमें सबसे अहम निर्णय किसानों की कर्जमाफी का रहा है। इसके तहत किसानों के एक लाख तक के कर्ज माफ किये गये हैं।
प्रदेश में करीब 02 करोड़ 15 लाख किसान हैं। इनमें 92.5 फीसदी लघु व सीमांत किसान हैं।
2.5 एकड़ तक के सभी काश्तकार सीमांत किसान और पांच एकड़ तक के सभी किसान, लघु किसान माने जायेंगे।
प्रारंभिक गणना के मुताबिक, 86.88 लाख लघु व सीमांत किसान, एेसे हैं जिन्होने बैंकों से फसली रृण ले रखा है।
कैबिनेट की करीब डेढ़ घण्टे चली बैठक में किसानों की कर्जमाफी के प्रस्ताव पर मुहर लगने से लगभग 86.88 लाख लघु और सीमान्त किसानों को लाभ मिलेगा। वहीं सरकार पर इस फैसले के कारण लभग 36000 करोड़ रुपये का आर्थिक बोझ आएगा।
कैबिनेट में लिए निर्णय के तहत 31 मार्च 2016 तक लघु और सीमान्त किसानों द्वारा लिये गए फसली ऋण में से उनके द्वारा वित्तीय वर्ष 2016-17 के दौरान भुगतान की गई राशि को घटाते हुए अधिकतम एक लाख रुपये की सीमा तक के कर्ज माफ करने का प्रस्ताव तैयार किया है।
इसके अलावा सरकार लघु व सीमान्त किसानों के गैर निष्पादक ऋणों का भी भुगतान करेगी।
कैबिनेट के निर्णय के मुताबिक लघु व सीमान्त किसानों के फसली ऋण को माफ करने की योजना तैयार करने के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में आठ सदस्यीय समिति गठित करने का भी प्रस्ताव है। यह समिति कर्जमाफी योजना को अमली जामा पहनाने के लिए संसाधनों की व्यवस्था करने के उपाय सुझाएगी और योजना से जुड़ी सभी प्रक्रियाएं तय तय करेगी। कैबिनेट मीटिंग से पहले मंत्रियों को जो एजेंडा भेजा गया था उसमें सबसे ऊपर किसान कर्ज माफी की ही बात की गई थी।