गोरखपुर , उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि ज्योतिष व आयुर्वेद प्राचीनतम भारतीय ज्ञान परंपरा की थाती हैं। आयुर्वेद व ज्योतिष के क्षेत्र में शोध को बढ़ावा देने के लिए नए संस्थान खोले जा रहे हैं। गोरखपुर में महायोगी गोरक्षनाथ आयुष विश्वविद्यालय और वाराणसी में वेद विज्ञान केंद्र की स्थापना इसी की कड़ी है।
गोरखपुर में एक मीडिया संस्थान द्वारा आयोजित ज्योतिष एवं आयुर्वेद महासमागम को मुख्य अतिथि के रूप में श्री योगी ने शनिवार को कहा कि भारतीय मनीषा में वनस्पतियों से औषधि एकत्र करने और औषधियों को रोगी को देने का भी मुहूर्त तय होता है। इस संबंध में उन्होंने अपने गुरुदेव ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ के इलाज से जुड़ा एक संस्मरण भी सुनाया। साथ ही, रामायण के प्रसंग का उल्लेख करते हुए कहा कि जब हनुमान जी संजीवनी बूटी लेने गए थे तो उन्हें भी सुषेन वैद्य ने विशेष मुहूर्त का ज्ञान कराया था।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जब हमने आयुर्वेद और ज्योतिष के अपने प्राचीनतम ज्ञान की अनदेखी की, तो हम पिछड़ने लगे। हमने आयुर्वेद को दवा की पुड़िया तक तथा ज्योतिष को भाग्य देखने तक सीमित कर दिया। भारतीय मनीषा कर्म प्रधान है। कर्म सकारात्मक होगा तो भाग्य प्रबल होता जाएगा। आज दुनिया हमारी परा व अपरा विद्या के रूप में भारतीय मनीषा की ज्योतिष, आयुर्वेद आदि विद्याओं के बारे में जानने को उत्सुक है।
उन्होने कहा कि सकारात्मक शक्तियां जब एक साथ मिलकर काम करती हैं तो परिणाम भी सकारात्मक आता है। प्रतिवर्ष 21 जून को मनाया जाने वाला विश्व योग दिवस इसका उदाहरण है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने योग के प्राचीन ज्ञान को वैश्विक मंच पर सम्मान दिलाया है।
सकारात्मकता के साथ आयोजित किया गया प्रयागराज कुंभ-2019 स्वच्छता व सुव्यवस्था का पर्याय बना। इसे मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर के रूप यूनेस्को से मान्यता मिली। अपने प्राचीनतम ज्ञान की थाती को हमें इसी सकारात्मकता के साथ आगे बढ़ाना होगा।
श्री योगी ने कहा कि यूरोप और अमेरिका की तुलना में कमजोर हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर होने के बावजूद भारत का कोरोना प्रबंधन विश्व में सर्वश्रेष्ठ रहा। भारत ने न केवल वैश्विक महामारी का सफल नियंत्रण किया बल्कि महामारी के दौरान किसी भी व्यक्ति की मौत भूख से नहीं होने दी। 80 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन की व्यवस्था की गई। यही नहीं, कोरोना की निःशुल्क जांच, निःशुल्क इलाज व निःशुल्क वैक्सीन की सुविधा देने वाला भारत दुनिया का इकलौता देश है।