मिर्जापुर, मिर्जापुर के पीतल की चमक इस बार बिहार, ओडिशा और झारखंड समेत अन्य प्रदेशों तक पहुंच गयी है। डाला छठ पर्व पर पीतल नगरी में निर्मित सूप एवं अन्य पूजन सामग्रियों की बिहार सहित अन्य राज्यों में धूम मची हुयी है। सूप की मांग को देख व्यवसायी और बर्तन निर्माता के चेहरे खिले हैं। आन लाइन ब्रिकी से पीतल व्यवसाय को नया आयाम मिला है।
दरअसल, मिर्जापुर का पीतल अपनी बेहतर गुणवत्ता को लेकर पूरे देश में प्रसिद्ध है। यहां के कारीगर जस्ता और तांबे को उचित अनुपात में मिश्रण कर बेहतरीन पीतल बनाने में महारत हासिल कर रखी है। मिर्जापुर के पीतल देश मेंअन्य जगहों की तुलना में बेहतर माने जाते हैं। यहां के पीतल की मांग पूरे देश में रहती रही है। यहां केवल बड़े बर्तन बनने से यह पीतल नगरी पिछड़ गयी थी। पर समय के साथ परिवर्तन करने से फिर सम्भावना बलवती हुई।
डाला छठ महापर्व पर पीतल के सूप,दीपक, लोटा घंटी सहित अन्य पूजन सामग्री बनी और बाजार में सजी हुई है। बाजार में आठ सौ ग्राम से लेकर एक किलो तक के पीतल के सूप मौजूद हैं।इसी तरह के अन्य पूजन सामग्री भी ग्राहकों की क्षमता के मुताबिक छोटे बड़े कम वजनी है।
पीतल के बड़े निर्माता विश्वनाथ अग्रवाल बताते हैं कि इस बार डाला छठ पर्व पर जिले के पीतल के सूप की मांग बिहार झारखंड ओडिशा असम राज्य सहित पूर्वांचल में है।वे बताते हैं कि अब तक तीन टन से अधिक सूप की डिलिवरी की जा चुकी है। ऐसे यहां बर्तन के कई निर्माता हैं।
दूसरी तरफ स्थानीय दुकानदारों द्वारा अपने प्रतिष्ठान पीतल के बने पूजन सामग्री को सजाया है। डाला छठ पूजन के लिए लोगों को आकर्षित कर रही है। मां विंध्यवासिनी देवी के दर्शन पूजन करने आने वाले दर्शनार्थियों में पीतल के सूप आकर्षण के केन्द्र है। वे मिर्जापुर के प्रसिद्ध पीतल लेना नही भूल रहे हैं। खुले बाजार में सूप की कीमत 680 रुपये प्रति किलो निर्धारित है। फिलहाल पीतल की चमक देश में बढ़ने से उत्साहित हैं। उनके चेहरे पर भी चमक स्पष्ट दिखती है।
मेंटल इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष मोहन अग्रवाल ने बताया कि आमेजन, फ्लिपकार्ट जैसे आनलाइन प्लेटफार्म से पूजन सामग्री और सूप की बिक्री से यहां व्यवसायिक जुड़ गए हैं।वे बताते हैं कि उत्तर प्रदेश की ओडीओपी एक जिला एक उत्पाद से पीतल व्यवसाय को जुटने से काफी लाभ मिला है।अब हम जल्द कुछ अन्य फैन्सी आइटम बनाएंगे। रोज मर्रा इस्तेमाल होने वाले आइटम शीध्र बाजार में होगा।