मुंबई, बंबई उच्च न्यायालय ने आज कहा कि वह नरेंद्र दाभोलकर और गोविंद पंसारे की हत्या से जुड़े मामलों में जांच की सुस्त रफ्तार से खुश नहीं है। हालांकि सीबीआई ने अदालत को बताया कि स्कॉटलैंड यार्ड ने फॉरेंसिक जांच में मदद देने से इनकार कर दिया है क्योंकि भारत और ब्रिटेन के बीच जानकारी साझा करने का कोई कानूनी समझौता नहीं है।
सीबीआई ने तीन तर्कवादियों दाभोलकर, पंसारे और कालबुर्गी की हत्या में प्रयुक्त हथियारों की जांच से जुड़े साक्ष्य (बैलिस्टिक) पर अहमदाबाद फॉरेंसिक लेबोरेटरी की सीलबंद फॉरेंरिसक रिपोर्ट भी जमा की। न्यायमूर्ति एससी धर्माधिकारी और बीपी कोलाबावाला की पीठ ने कहा कि हत्या की जांच की सुस्त रफ्तार से वह बेहद नाखुश है। न्यायमूर्तियों ने कहा कि पुणे और कोल्हापुर की निचली अदालतों में चल रहे दाभोलकर और पंसारे की हत्या के मामलों की सुनवाई में भी कोई प्रगति नहीं हुई है। सीबीआई ने उच्च न्यायालय को बताया था कि स्कॉटलैंड यार्ड को फॉरेंसिक सबूत भेजे गए थे और उसकी राय जाननी चाही थी कि महाराष्ट्र में दाभोलकर और पंसारे तथा कर्नाटक में एक अन्य तर्कवादी एमएम कलबुर्गी की हत्या में समान हथियार इस्तेमाल किए गए थे? अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह ने मारे गए दो तर्कवादियों के परिजनों की ओर से दायर याचिका की सुनवाई कर रही खंडपीठ को बताया कि स्कॉटलैंड यार्ड ने सूचित किया है कि फॉरेंसिक डेटा साझा करने के लिए दोनों देशो के बीच कोई कानूनी समझौता नहीं है, ऐसे में वह हत्या के इन मामलों में फॉरेंसिक जांच में मदद नहीं देगा। दाभोलकर की 20 अगस्त, 2013 को पुणे में हत्या हो गई थी जबकि पंसारे की 16 फरवरी, 2015 को कोल्हापुर में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। प्रोफेसर कलबुर्गी की 30 अगस्त, 2015 को हत्या कर दी गई थी।