धर्मशाला, अमेरिका की प्रतिनिधि सभा में डेमोक्रेटिक पार्टी की वरिष्ठ नेता नैंसी पेलोसी ने चीन पर आरोप लगाया कि तिब्बत के लोगों की आवाज दबाने के लिए वह आर्थिक तौर-तरीकों का इस्तेमाल कर रहा है। तिब्बत के हालात पर कड़ा रुख अख्तियार करते हुए उन्होंने कहा, चीन की बर्बर रणनीति पर हम चुप नहीं बैठेंगे। यहां एक सार्वजनिक कार्यक्रम में पेलोसी ने कहा, तिब्बत के मित्रों की आवाज दबाने के लिए चीन अपने आर्थिक औजारों का इस्तेमाल कर रहा है।
कार्यक्रम में तिब्बती लोगों के आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा भी मौजूद थे। चीन दलाई लामा पर तिब्बत को चीन से अलग करने की कोशिश करने का आरोप लगाता रहा है। पेलोसी दलाई लामा तथा तिब्बत की निर्वासित सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों से मुलाकात करने के लिए मंगलवार को धर्मशाला पहुंचीं। उनके नेतृत्व में आए प्रतिनिधिमंडल में सात अमेरिकी सांसद भी शामिल हैं।
उन्होंने कहा, चीन के आर्थिक शक्ति होने के नाते अगर हम तिब्बत में दमन के खिलाफ आवाज नहीं उठाते हैं, तो हम दुनिया के किसी भी हिस्से में मानवाधिकार के बारे में बात करने का नैतिक अधिकार खो देंगे। पेलोसी ने कहा, न हम चुप रहेंगे, न आप चुप रहेंगे। उन्होंने कहा, तिब्बती लोगों के धर्म, संस्कृति तथा भाषा को लेकर चीन सरकार की बर्बर रणनीति ने दुनिया की अंतरात्मा को झंझोड़ दिया है।
डेमोक्रेट नेता ने कहा, हम चुनौती से निपटेंगे, हम साथ मिलकर चुनौती का सामना करेंगे। पिछले साल की तिब्बत यात्रा का स्मरण करते हुए पेलोसी ने कहा, हम पोटाला पैलेस गए थे और हमने एक दूसरे से वादा किया कि अपनी तरफ से हम हर संभव प्रयास करेंगे कि वह उस जगह पर लौटें। तिब्बत की निर्वासित सरकार (केंद्रीय तिब्बत प्रशासन) की प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा, तिब्बत की आजादी की प्रगति की दिशा में हमें उम्मीद की किरण नजर आती है।
प्रतिनिधि सभा की पूर्व अध्यक्ष पेलोसी लंबे समय से तिब्बत की समर्थक रही हैं। नैंसी पेलोसी के नेतृत्व वाले प्रतिनिधिमंडल में जिम सेनसेनब्रेनर, इलियट एंजेल, जिम मैकगवर्न, बेट्टी मैक्कुलम, जूडी चू, जॉइस बिटी तथा प्रमिला जयपाल शामिल हैं। मैकगवर्न ने अपने संबोधन में कहा, हमें आपमें (दलाई लामा) विश्वास है और आपके साथ खड़े हैं।
उन्होंने ट्रंप प्रशासन से दलाई लामा से मुलाकात करने की अपील की। जयपाल ने कहा, सच्चाई की हमेशा विजय होती है। दलाई लामा 100,000 से अधिक तिब्बतियों के साथ भारत में रह रहे हैं। सन् 1959 में चीन से पलायन के बाद से ही दलाई लामा भारत में रह रहे हैं।