हैदराबाद, तेलंगाना में कार्यरत 100 से ज्यादा जज हैदराबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ 15 दिन के सामूहिक आकस्मिक अवकाश पर चले गए हैं। हैदराबाद हाईकोर्ट ने अनुशासनहीनता के आधार पर नौ न्यायाधीशों को निलंबित कर दिया है। इनकी मांग न्यायाधीशों का निलंबन रद्द करने की है।‘तेलंगाना जजेज एसोसिएशन’ के बैनर तले सौ से अधिक न्यायाधीशों ने रविवार को गन पार्क से राजभवन तक जुलूस निकाला था और राज्यपाल को न्यायिक अधिकारियों के अस्थायी आवंटन के खिलाफ ज्ञापन सौंपा था। हैदराबाद हाईकोर्ट ने इस पर कड़ा रुख अपनाते हुए अनुशासनहीनता के आधार पर निचली अदालत के नौ और न्यायाधीशों को निलंबित कर दिया।
यह विवाद उस समय खड़ा हुआ, जब तेलंगाना ने आंध्र के जजों की नियुक्तियां जिला अदालतों में किए जाने पर आपत्ति जताई। सूत्रों के अनुसार आंध्र के जज वहां की अदालतों में तैनाती लेने की जगह तेलंगाना में पदों को चुन रहे हैं, ताकि नौकरशाहों और पुलिस अधिकारियों को ‘परेशान किया जा सके, दंडित किया जा सके’, क्योंकि आंध्र सरकार अपने प्रतिद्वंद्वी राज्य में राजनीति और प्रशासन पर नियंत्रण करना चाहती है।
सांसद के. कविता के मुताबिक, यह तेलंगाना पर नियंत्रण स्थापित करने की कोशिश है। कविता का आरोप है कि केंद्र भी आंध्र प्रदेश का ही पक्ष ले रहा है, क्योंकि आंध्र में सत्तारूढ़ दल उनका केंद्र में सहयोगी है। नवगठित राज्य के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव जल्द ही दिल्ली में धरना देने जा रहे हैं, ताकि हैदराबाद में तेलंगाना के लिए अलग से हाईकोर्ट की स्थापना की मांग पर ज़ोर दिया जा सके। उनकी सरकार का कहना है कि तेलंगाना के लिए अलग हाईकोर्ट राज्य की स्वायत्तता के लिए ज़रूरी है।
तेलंगाना का गठन वर्ष 2014 में आंध्र प्रदेश से अलग कर किया गया था। तभी से दोनों पड़ोसी राज्य एक-दूसरे पर निशाने साधते रहे हैं। अक्सर पानी के मुद्दे पर, और कभी-कभी हैदराबाद में ज़मीन-जायदाद को लेकर, जो फिलहाल 2024 तक दोनों ही राज्यों की राजधानी है, और उसके बाद वह तेलंगाना की राजधानी हो जाएगी।