नई दिल्ली, दिल्ली के उपहार सिनेमा हादसा मामले में पुनर्विचार याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने गोपाल अंसल और सुशील अंसल एक एक साल की सजा सुनाई है। पीड़ित नीलम कृष्णमूर्ति ने समाचार एजेंसी एएनआई से कहा कि मैं इस फैसले से बेहद आहत हूं।मेरे जीवन की बड़ी भूल थी कि मैं कोर्ट में आई। न्यायपालिका पर मेरा भरोसा खत्म हो गया है। उन्होंने कहा कि अमीर और ताकतवर लोग स्पेशल पावर का लाभ उठाते हैं। पीड़ित नीलम कृष्णमूर्ति के दोनों बच्चों की इस हादसे में जान गई थी। हिन्दी फिल्म ‘बार्डर’ के प्रदर्शन के दौरान हुए इस अग्निकांड में 59 दर्शकों की मृत्यु हो गई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिल्ली के उपहार सिनेमा को बनाने और चलाने वाले अंसल बंधुओं में से किसी एक को 4 हफ्ते में जेल जाना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सुशील और गोपाल अंसल पर उसके द्वारा लगाया गया 30-30 करोड़ रुपये का जुर्माना अत्यधिक नहीं है। गोपाल अंसल एक साल की सजा में से 4 महीने पहले ही जेल में काट चुके हैं, वहीं सुशील अंसल भी अपनी आधी सजा काट चुके हैं।
इससे पहले उपहार पीड़ितों की पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई के दौरान अंसल बंधुओं ने सुप्रीम कोर्ट में अंडरटेकिंग दी थी कि वे मामले की सुनवाई पूरी होने तक देश से बाहर नहीं जाएंगे। 18 साल पुराने चर्चित उपहार सिनेमा अग्निकांड केस में सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई और पीड़ितों की पुनर्विचार याचिका पर 14 दिसंबर को सुनवाई पूरी कर आदेश सुरक्षित रख लिए थे।
सीबीआई ने अपनी पुनर्विचार याचिका में कहा है कि कोर्ट में उसे अपना पक्ष रखने का पर्याप्त मौका नहीं मिला, इसलिए न्याय नहीं हुआ। इस आधार पर सीबीआई ने मांग की थी कि मामले पर दोबारा विचार किया जाए जबकि पीड़ितों की ओर से कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट ने दोनों को जुर्माना लगाकर छोड़ दिया जबकि देश के कानून के हिसाब से किसी भी अपराधी की सजा के साथ जुर्माना तो लगाया जा सकता है लेकिन सजा को जुर्माने में तब्दील नहीं किया जा सकता।
नवंबर 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने मामले पर सुनवाई करते हुए फैसला सुनाया जब सुप्रीम कोर्ट ने 1997 के उपहार सिनेमा अग्निकांड मामले में उन्हें तीन महीने के भीतर 30-30 करोड़ रुपये का जुर्माना अदा करने का निर्देश दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच ने उम्र के आधार पर कहा था कि जुर्माना ना देने की सूरत में 2 साल जेल की सजा दी जाएगी।