नयी दिल्ली, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने शनिवार को कहा कि दिव्यांगजनों को सहानुभूति का पात्र नहीं बल्कि उन्हें उनके ज्ञान, योग्यता, झुकाव और विशेषज्ञता के लिए मान्यता का पात्र माना जाना चाहिए।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा,“ एक ऐसा इको-सिस्टम बनाने की आवश्यकता है जिससे हम अपने दिव्यांग जनों को सशक्त बना सकें जिनके पास अपार प्रतिभा है। विकलांगता मानसिक, आध्यात्मिक और भावनात्मक चुनौतियों के दायरे तक फैली हुई है।”
गुरुग्राम में विकलांगता पर 10 वें राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने उन सामाजिक धारणाओं में आए बदलाव का उल्लेख किया और कहा कि जो लोग बाहरी तौर पर शारीरिक रूप से सक्षम दिखते हैं उनमें किसी न किसी प्रकार की विकलांगता हो सकती है।
उन्होंने प्रमुख कॉर्पोरेट संस्थाओं से अपने कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) फंड को समाज के इन वर्गों को सशक्त बनाने के लिए देने का आग्रह किया।